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भाग्य को कोसने वाले लोग इस कहानी को जरुर सुनें| When A Man Became Eagle| A Best Motivational Story  

भाग्य को कोसने वाले लोग इस कहानी को जरुर सुनें एक बार एक इंसान अपनी जिंदगी से बहुत परेशान था वह हर समय अपने आप को कोसता रहता था कि क्या जिंदगी मिली है मुझे क्या जीवन है हर परेशानी मेरे साथ ही है हर दुख मुझे ही आकर घरता है हर झंझट मेरे ही सर पड़ती है एक दिन इसी तरह अपने आप को बैठा हुआ कोस रहा था कि क्या नसीब है मेरा क्या किस्मत है मेरी क्या जिंदगी है मेरी कि तभी अचानक एक बाज अपने शिकार को पंजों में दबाए हुए एक पेड़ पर आकर बैठ जाता है और वहीं पर अपने उस शिकार को खाने लग जाता है यह परेशान आदमी जब उस बाज को देखता है 

तो कहने लगता है कि क्या जिंदगी है इसकी क्या जीवन जी रहा है मजे का ना इसे खाने की चिंता ना पीने की ना पहनने की और ना ही परिवार की शिकार करता है और मस्त खुली हवाओं में कभी इधर घूमता है कभी उधर घूमता है सारे दिन आसमान में उड़ता रहता है 

असल जिंदगी तो यही है जीवन तो यह जी रहा है और फिर वह आसमान की तरफ देखकर जोर-जोर से चिल्लाता है कि काश मैं भी एक बाज होता तो मुझे भी कोई दुख दुख ना होता मुझे भी कोई परेशानी ना होती काश मैं भी एक बाज होता जब वह दो से तीन बार जोर-जोर से चिल्लाता है कि काश मैं भी एक बाज होता तो मुझे भी कोई दुख ना होता मुझे भी कोई परेशानी ना होती 

तो अचानक आसमान में बिजली कड़कने लग जाती है और आसमान से आवाज आती है कि हे इंसान क्या यह हमने सच सुना कि तू हमारी दी हुई जिंदगी से परेशान है और तू एक बाज बनना चाहता है तो इस आकाशवाणी को सुनकर यह इंसान हैरान रह जाता है और आसमान की तरफ देखकर कहता है कि हां मैं सच में अपनी इस जिंदगी से बहुत परेशान हूं क्योंकि हर परेशानी मेरे साथ ही है हर दुख मुझे ही है हर तकलीफ मेरे ही साथ है तो आसमान से फिर आवाज आती है कि हे इंसान एक बार फिर सोच ले हमने तुझे बड़ी प्यारी जिंदगी दी है 

लेकिन अगर फिर भी तू चाहता है कि हम तुझे बाज बना दें तो हम तुझे बाज बना देंगे 

लेकिन अगर एक बार हमने तुझे बाज बना दिया तो फिर हम तुझे बाज से इंसान दोबारा नहीं बनाएंगे तो यह आदमी तुरंत जवाब देता है कि मैंने अच्छी तरह से सोच लिया है कि मुझे बाज ही बनना है और एक बार बाज बनने के बाद मैं दोबारा कभी नहीं कहूंगा कि मुझे इंसान बनना है तभी ऊपर से आवाज आती है कि जैसे तुम्हारी इच्छा और वह इंसान बाज बन जाता है बाज बनते ही वह इंसान खुली हवाओं में उड़ने लगता है कभी उड़ता हुआ इधर चला जाता है कभी उड़ता हुआ उधर चला जाता है और सोचता है क्या मजे की जिंदगी है असल जिंदगी तो यही है ना कोई चिंता ना कोई परेशानी ना कोई डर वह सारा दिन ऊंचे आसमान में उड़ता रहता है 

दो-तीन मिनट पंख मारता है उसके बाद पंख मारना बंद कर देता है और लंबे समय तक हवाओं में तैरता रहता है इसी तरह हवाओं में तैरते हुए शाम का समय नजदीक आ जाता है तो वह सोचता है कि मेरे पास रहने का एक ठिकाना भी होना चाहिए 

मेरा अपना एक घर होना चाहिए 

जहां मैं रात में आराम कर सकूं तो यह सोचकर वह छोटी-छोटी लकड़ियां इकट्ठा करने लग जाता है और एक ऊंचे पेड़ पर अपना घोंसला बनाने लग जाता है एक-एक लकड़ियां इकट्ठा करके वह अपने लिए एक सुंदर सा घोसला तैयार कर लेता है और रात में उसी में सो जाता है और सोचता है सुबह उठकर शिकार भी करूंगा और सुबह उठकर फिर से मौज मस्ती भी करेंगे खुली हवाओं में उड़ेंगे सुबह होते ही वह शिकार की तलाश में निकल पड़ता है हवाओं में उड़ता रहता है 

ऊपर से जाकर देखता है कि कहीं जमीन में मुझे कोई शिकार नजर आए तो मैं तुरंत जाकर उसे दबोच लूं और वहीं पर खा लूं लेकिन उसे कोई शिकार नजर नहीं आता काफी समय बीत जाता है वह लगातार ऊंचाई से शिकार को ढूंढता रहता है लेकिन उसे कोई शिकार नहीं मिलता 

फिर पास एक जंगल होता है यह उस जंगल में चला जाता है यह सोचकर कि शायद वहां कोई अच्छा सा शिकार मेरे हाथ आ जाए यह जंगल के ऊपर उड़कर शिकार को ढूंढता रहता है जंगल के अंदर जाकर भी शिकार को ढूंढता है लेकिन इसे वहां भी कोई शिकार नहीं मिलता शाम का समय नजदीक आ जाता है तो मायूस होकर वापस अपने घोसले की तरफ लौट रहा होता है कि रास्ते पर थककर एक पेड़ के ऊपर बैठ जाता है जब यह उस पेड़ के ऊपर बैठा होता है तो उसकी नजर एक बीमार चिड़िया पर पड़ती है जो कि ल अवस्था में होती है यह तुरंत जाकर उसे दबोच लेता है उसके पंख निकालकर अलग कर देता है और उसे खा जाता है उस चिड़िया को खाने के बाद वह अपने घोंसले की तरफ उड़ जाता है और रास्ते में सोचता है कि चलो बीमार चिड़िया ही सही लेकिन कुछ तो खाने को मिला वह अपने घोंसले पर पहुंचकर आराम करने लगता है और सोचता है 

सुबह एक अच्छा सा शिकार पकडू और अपनी भूख मिटा लूंगा जैसे ही सुबह का प्रकाश होता है यह निकल पड़ता है अपने शिकार की तलाश में हवा में उड़ता रहता है उड़ता रहता है लेकिन आज फिर कोई शिकार इसके हाथ नहीं आता काफी समय बीत जाता है यह ऊंचाइयों पर जाकर अपनी तेज नजरों से शिकार को ढूंढने की पूरी कोशिश करता है 

लेकिन इसे कोई भी शिकार नजर नहीं आता फिर यह पास के उस जंगल की तरफ चला जाता है लेकिन इसे वहां भी कोई शिकार नहीं मिलता इसी प्रकार पूरे दिन उड़ते उड़ते शाम का समय नजदीक आ जाता है तो यह निराश होकर वापस लौटने लगता है और रास्ते में एक पेड़ पर आकर बैठ जाता है सोचता है शायद आज फिर कोई बीमार चिड़िया मेरा इंतजार कर रही हो 

लेकिन हर बार किस्मत मेहरबान थोड़ी होती है आज इसे कोई बीमार चिड़िया नहीं मिलती यह थक हार कर वापस अपने घोसले की तरफ चल पड़ता है और घोसले पर पहुंचकर भूखा प्यासा ही सो जाता है और सोचता है कल सुबह एक बड़ा सा शिकार पकडा और आज की भूख भी मिटा लूंगा 

रात को अपने घोसले में सोया होता है गहरी नींद में होता है कि तभी एक भयानक तूफान आता है इस तूफान की हवा इतनी तेज होती है कि इसके घोसले को उड़ाकर एक जगह फेंक है और उे कहीं दूर दूसरी जगह फेंकते है तो यह जहां पर गिरता है वहां नीचे एक नोकदरा लकड़ी पड़ी होती है जो इसके पंजे में गड़ जाती है और इसे बुरी तरह घायल कर देती है तूफान के रुकने के बाद बारिश शुरू हो जाती है तेज बारिश होती रहती है पर यह किसी तरह से पेड़ों के नीचे छुपकर बैठा रहता है बड़ी मुश्किल से इसकी रात कटती है 

जब सुबह होती है तो बारिश रुक जाती है बारिश के रुकते ही चारों तरफ खुशियां छा जाती हैं चारों तरफ हरियाली छा जाती है नदियां और झरने तेजी से बहने लगते हैं सब कुछ फिर पहले के जैसा हो जाता है 

लेकिन यह बाज अब पहले के जैसा नहीं रहा इसका पांव बुरी तरह घायल हो चुका है इसके पंजे में जो लकड़ी लगी थी उसकी वजह से इसका पंजा बुरी तरह छत बि छत हो गया है और मैं आपको बता दूं कि बाज का जो पंजा होता है वह उसके शिकार को पकड़ने के लिए सबसे जरूरी होता है क्योंकि बाज अपने पंजों से ही अपने शिकार को पकड़ता है दबोच होता है और फिर अपनी चोंच के माध्यम से नोच नोच कर खाता है 

लेकिन अब इस बाज का पंजा बुरी तरह से घायल हो चुका था था और वह पिछले दो दिनों से भूखा भी था यह शिकार की खोज में थोड़ा सा उड़ता है कि शायद फिर कहीं कोई बीमार चिड़िया इसे मिल जाए लेकिन कहां बार-बार कोई बीमार चिड़िया मिलने वाली थी वह कुछ देर तक उड़ता है लेकिन फिर भूख और दर्द के मारे थक कर एक पेड़ पर आकर बैठ जाता है वह पेड़ पर आकर बैठ तो जाता है 

लेकिन उसे पता नहीं था कि यहां एक और मुसीबत उसका इंतजार कर रही है और वह मुसीबत यह थी कि आठ 10 कौओं का एक झुंड मिलकर इसे परेशान करने लग जाते हैं इसके ऊपर आकर इसके घाव में चोच मारने लग जाते हैं उन्हें भी पता चल जाता है कि यह बाज घायल है और भूख की वजह से कमजोर भी है यह बाज उनसे बचने के लिए थोड़ा सा उड़ता है और फिर जाकर बैठ जाता है उनसे पीछा छुड़ाने का प्रयास करता है 

लेकिन वह फिर इसके पीछे आ जाते हैं तो यह फिर उड़कर थोड़ी दूर चला जाता है लेकिन वह इसका पीछा नहीं छोड़ते और बार-बार इसके पास आकर इसे परेशान करते हैं 

कौवे अक्सर बाज के साथ ऐसा करते हैं लेकिन फिर बाज भी उनके साथ एक खेल खेलता है जब कौओं का झुंड बाज को परेशान करता है और उनका पीछा नहीं छोड़ता तो बाज हवा में सीधी उड़ान भरने लग जाता है वह तेजी से सीधा ऊपर की ओर उड़ने लग जाता है कौवे भी उसके पीछे उड़ते हैं लेकिन कुछ देर तक उड़ने के बाद कौवे ऐसी ऊंचाई पर पहुंच जाते हैं जहां पर उन्हें ठीक से ऑक्सीजन मिलनी बंद हो जाती है उनका दम घुटने लग जाता है उनकी सांस रुकने लग जाती है तो फिर वह वहां से ऊपर नहीं जा पाते पर क्योंकि बाच तो बादलों से भी ऊपर उड़ सकता है इसीलिए वह तो ऊपर चला जाता है

लेकिन कौवे वहां से ऊपर नहीं जा पाते और वो नीचे आने लगते हैं तो इस तरीके से बाज उनसे अपना पीछा छुड़ा लेता है लेकिन ऐसा करने के लिए इतनी ऊंची उड़ान भरने के लिए इस बाज के पास उतनी ताकत नहीं थी क्योंकि यह भूखा भी था और घायल भी था तो यह उड़ता और थोड़ी सी दूर जाकर बैठ जाता और कौवे फिर आकर इसे परेशान करने लग जाते इसी तरह भूख और घायल हालत में एक दिन गुजर जाता है दूसरा दिन गुजर जाता है तीसरा दिन गुजर जाता है 

लेकिन इस बाज की हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा था वह बद से बदतर होती जा रही थी चौथे दिन जब यह बिल्कुल खत्म होने पर आ जाता है इसके अंदर बिल्कुल ताकत नहीं बचती और इसका शरीर इसका साथ छोड़ने लगता है तो यह किसी तरीके से उड़कर पास ही इंसानों की एक हॉस्पिटल होती है उसकी छत पर आकर बैठ जाता है और वहां से आने जाने वाले मरीजों को देखता है और अपने आप से कहता है कि काश आज मैं एक इंसान होता तो ऐसे छोटे-मोटे जख्मों का हॉस्पिटल से इलाज करवा लेता या किसी को बता देता कि मैं भूखा हूं परेशान हूं मेरे साथ यह परेशानी है 

लेकिन आज मैं एक ऐसा बेजुबान परिंदा हूं जो किसी से कुछ नहीं कह सकता किसी को अपना दुख नहीं बता सकता किसी से कोई मदद नहीं मांग सकता यही बात सोचकर वह उसी छत पे अपना दम तोड़ देता है वह अपनी जान की कुर्बानी तो दे जाता है लेकिन साथ ही साथ हमें यह सीख भी दे जाता है कि आपको जैसा बनाया गया है आप जैसे भी हो उसी में खुश रहो और उसी में बेहतर करने की कोशिश करते रहो ना कि इस बात से परेशान रहो कि काश में ऐसा होता काश में वैसा होता काश मैं यह बन जाऊं आपको जैसा भी बनाया गया है आप उसी में अपना सर्वश्रेष्ठ करने का प्रयास करते रहो दोस्तों यह कहानी तो काल्पनिक है लेकिन हमें जीवन का एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण नियम सिखा कर जाती है कि हम जैसे भी हैं अच्छे हैं बस हमें उसी में अपना सर्वश्रेष्ठ करने का प्रयास करते रहना चाहिए धन्यवाद हम

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