गलत फैसलों से कैसे बचे | Buddhist Story on How to avoid wrong decisions

दोस्तों वास्तविकता देखी जाए तो हम भी भीड़ का एक हिस्सा बन चुके हैं हम भी इस भीड़ में अपने आप को भूल चुके हैं हम भी इस भीड़ के कहे अनुसार उनके इशारों पर नाचते रहते हैं एक कठपुतली की तरह यह भीड़ जैसा कहती है हम वैसा करते चले जाते हैं ऐसे केवल कुछ ही लोग होंगे जो वास्तविक तौर पर अपना जीवन स्वयं जी रहे हैं और वह लोगों को जीवन की सही राह भी दिखाते हैं लोगों को जीना भी सिखाते हैं आइए इसे एक कहानी के माध्यम से समझते हैं कि आधी अधूरी जिंदगी जीकर हमें कोई लाभ नहीं 

नमस्कार दोस्तों बौधि थिंक्स पाय क्या करेगा उसे किस तरह से एक प्रभावशाली राजा बनना होगा इस तरह की कई सारी बातें राजा ने पहले से ही सोच रखी थी लेकिन वह राजा यह भूल चुका था कि हम में से हर एक व्यक्ति अलग रूप रंग और अलग व्यवहार के साथ जन्म लेते हैं और वही हमारे जीवन की धारा होती है एक नदी की तरह साफ और स्वच्छ उस धारा को हमने खो दिया है और अपना लिया है भीड़ तंत्र द्वारा दिया गया क्योंकि यह हमें अत्यधिक सुरक्षित लगता है 

क्योंकि इस भीड़ में हम अपने आप को सुरक्षित मानते हैं हमें कुछ नया जानना अच्छा नहीं लगता हम तो केवल इस भीड़ के साथ चलकर अपने आप को सर्वश्रेष्ठ समझते हैं उस लड़के का भी एक व्यवहार था उसे राज्य का राजा नहीं बनना था उस लड़के का मन तो बहुत नाजुक था वह जल्द ही करुणा से भर जाता था हिंसा से उसे आनंद नहीं आता था उसे तो चित्र बनाना और नृत्य करना अत्यधिक पसंद था यही उसकी जीवन धारा थी यदि वह उस पर चल तो संपूर्णता को प्राप्त करता

 लेकिन उसके पिता को यह सब बिल्कुल पसंद नहीं जिस कारण वह राजा अपने बच्चे से नाराज रहने लगे उसने हर वह जतन कर दिया जिससे उसका बच्चा सम्राट बनने के लिए आगे बढ़ सके उसमें सम्राट के सर्वश्रेष्ठ गुण आ सके लेकिन उस लड़के को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था ऐसे ही धीरे-धीरे समय बीतता गया और समय के साथ-साथ अब वह युवराज बड़ा होने लगा था 

लेकिन जैसे-जैसे युवराज बड़े हो रहे थे उनके मन में उनके दिमाग में समाज की यह बातें घर करती चली जा रही थी अब वह बाहर के बारे में सोचने लगे थे लेकिन अब भी उनका व्यवहार पहले जैसा ही था और यह बात उस राजा को बिल्कुल पसंद नहीं थी और इसी वजह से वह राजा अपने पुत्र को ताने मारता अब शब्द कहता वह कभी-कभी इतना क्रोधित हो जाता कि अपने पुत्र से कहता तुम्हारे जैसा पुत्र होने से तो अच्छा था कि मेरा कोई पुत्र ही नहीं होता क्या तुम जानते हो जब लोग यह सुनते हैं कि तुम्हारा पुत्र नृत्य करना पसंद करता है

चित्र बनाना पसंद करता है तो लोग मुझ पर कितना हंसते हैं मुझ पर क्या बीती है क्या तुम जानते हो वह मेरे बारे में कैसी-कैसी बातें करते हैं और यह सब तुम्हारी वजह से है राजा के पुत्र को अपने पिता की यह बात लग गई उसके बाद उसने निश्चय किया कि वह अपने पिता की बातों का पालन करेगा वह अपने पिता की आज्ञा का पालन करेगा उसके पिता जैसा उसे बनाना चाहते हैं वह वैसा बनकर रहेगा एक बार जब उसके पिता खुश हो जाएंगे तो वह वापस अपने साधारण जीवन को जीने लगेगा उस दिन से ही युवराज ने बहुत प्रयास किए निरंतर अभ्यास किया और आखिरकार वह एक ऐसा योद्धा बन गया जिसे हराना नामुमकिन था

उसने कई ऐसी लड़ाइयां लड़ी जिन्हें जीतना नामुमकिन था लेकिन वह अपने पराक्रम के दम पर विजय हुआ और जब भी वह विजय होकर वापस अपने महल लौटता तो तो उसे यही लगता कि अब तो उसके पिता उससे अत्यधिक प्रसन्न हो जाएंगे लेकिन हर बार जब वह विजय होकर घर लौटता तो उसके पिता उसे केवल एक ही बात कहते बेटा तुम्हें तो अभी और सीखना है अभी तुम पूर्ण रूप से एक योद्धा नहीं बने हो और इसी वजह से वह अपने पिता की नजरों में पूरा बनने के लिए दिन रात मेहनत करता अपनी पूरी ताकत लगा देता लेकिन ऐसा समय कभी नहीं आया

 जिससे राजा को अपने बेटे पर गर्व हो और धीरे-धीरे वह पुत्र अपने आप को भुला चुका था कि वह क्या है और वह क्या करना चाहता है धीरे-धीरे उसके अंदर की करुणा क्रूरता बन चुकी थी दोस्तों हमारे साथ भी हमारे जीवन में कुछ ऐसा ही होता है लोगों की परवाह करते-करते जिम्मेदारियां निभाते निभाते हम अपने आप को ही भूल जाते हैं और एक ऐसी जिंदगी को अपना ले जो हमारी है ही नहीं लेकिन सबसे खुश किस्मत तो वह लोग होते हैं जो सही मायने में अपना जीवन जीते हैं वह वही कर हैं जो वह करना चाहते हैं एक दिन की बात है वह युवराज अपने राज्य में भ्रमण कर रहा था कि तभी उसकी नजर एक युवती पर पड़ी और वह युवती अत्यधिक सुंदर थी

 जिसके प्रति वह युवराज आकर्षित होते चले जा रहे थे उस युवती को देखकर युवराज के मन में प्रेम उमड़ने लगा उन्होंने उस युवती को अपने राज महल बुलाया और उस युवती के सामने उन्होंने तरह-तरह के हीरे जवाहरात के ढेर लगा दिए और फिर उस युति से कह कते हैं मैं तुमसे प्रेम करता हूं और मैं तुमसे विवाह करना चाहता हूं यह जो कुछ भी तुम देख रही हो यह सब तुम्हारा है बस मेरे विवाह के प्रस्ताव को स्वीकार कर लो इस पर वह युवती क्रोधित होकर युवराज से कहती है हे युवराज मैं आपसे प्रेम नहीं करती भला यह कंकड़ पत्थर लेकर मैं क्या करूंगी यदि आप सच में मुझसे प्रेम करते हो

तो मुझे आपकी सबसे प्रिय चीज चाहिए क्या आप मुझे दे सकोगे इस पर वह युवराज कहता है सुंदरी जो कुछ तुम चाहो वह मैं तुम्हें देने के लिए तैयार हूं इस पर युवती कहती है हे युवराज मुझे आपका यह राज महल यह राज पाठ यह शानो शौकत नहीं चाहिए मैं तो एक साधारण सी युवती हूं और मैं आपसे भी यही चाहती हूं क्या आप मेरे साथ एक साधारण युवक बनकर जीवन व्यतीत कर पाएंगे क्या मेरे साथ एक साधारण युवक बनकर चल सकेंगे अपना यह राज पाठ यह शानो शौकत क्या आप छोड़ सकेंगे उस युवती की यह बात सुनकर वह युवराज बहुत सोच में पड़ गया और उस युवराज को देखकर वह युवती हंस पड़ी और कहने लगी हे 

युवराज यह आपकी धन दौलत यह आपका साम्राज्य हमारी जिंदगी में कुछ नहीं धन दौलत मान सम्मान पद प्रतिष्ठा ही प्रेम की कसौटी बन जाता है आपने तो देखा ही होगा जिसके पास जितनी ज्यादा धन दौलत होती है मान सम्मान होता है प्रद प्रतिष्ठा होती हैं लोग उसे ही अधिक प्रेम करते हैं उसकी अधिक फिक्र करते हैं हमेशा उसके साथ खड़ रह उसका सम्मान करते हैं लेकिन यह सब सच नहीं होता वास्तविक तौर पर तो वे लोग उस धन दौलत के आधीन होते हैं उस धन दौलत का सम्मान कर रहे होते हैं उस राज पाठ का उस पद प्रतिष्ठा का उस मान सम्मान का आदर कर रहे होते हैं वे लोग उसकी वाह-वाह कर रहे होते हैं 

उसी की प्रशंसा कर रहे होते हैं जो कि एक दिखावा है जो कि एक झूठ है और इन सभी झूठों के पीछे हम अपना पूरा जीवन यूं ही व्यतीत कर देते हैं हम सब इनके पीछे भागते रहते हैं फिर चाहे वह कोई गरीब हो या फिर कोई अमीर लेकिन आखिरी सांस तक ना तो कोई गरीब से प्रेम करना चाहता है और ना ही उसकी कोई फिक्र करता है 

लेकिन यदि आप किसी को धन दौलत मान सम्मान पद प्रतिष्ठा दिखाएंगे तो वह अवश्य ही आपकी झूठी तारीफ करेगा और वह आपका झूठा सम्मान भी करने के लिए तैयार रहेगा वह आपसे केवल इसलिए जुड़ा रहेगा क्योंकि उसे वे सारी चीजें पसंद हैं ना कि आप उस युवती की यह सारी बातें सुनकर युवराज एक बार फिर से कुछ देर के लिए सोच विचार करने लगते हैं और कुछ देर बाद वह उस युवती से कहते हैं मैं तुम्हारे साथ चलने के लिए तैयार हूं जैसा तुम चाहती हो मैं एक साधारण जीवन जीने के लिए तैयार हूं बस मैं अपने माता-पिता को इसकी सूचना देना चाहता हूं 

अपने माता-पिता से आज्ञा लेना चाहता हूं जैसे ही सम्राट को यह पता चला कि युवराज यह राज्य छोड़कर जा रहे हैं और वह भी एक सा धारण सी लड़की के लिए उसने तुरंत ही अपने सैनिकों को आदेश दिया कि उस लड़की और युवराज को बंदी बनाकर राज दरबार में पेश किया जाए सैनिकों ने बिल्कुल ऐसा ही किया उन्होंने उस लड़की और युवराज को बंदी बनाकर राज दरबार में ले आए उधर दूसरी तरफ सम्राट ने उस लड़की को जासूसी के आरोप में मृत्यु दंड दे दिया वह राजा यह भूल चुका था कि जब हमारे हाथों में शक्ति होती है हमारे हाथों में ताकत होती है तो हम न्याय और अन्याय के बीच का का फर्क भूल जाते हैं हमें तो केवल बस यही लगता है कि हम जो कुछ कर रहे हैं वही सही है हम अपने आप को सर्वशक्तिमान समझने लगते हैं इस मृत्युदंड के बारे में सुनने के बाद वह लड़की डर गई और राजा से कहती है हे राजन इसमें मेरा क्या दोष है इसमें मैंने क्या किया है 

आपके ही पुत्र युवराज ने मुझे यहां पर आने का अनुग्रह किया था और मैं उनकी ही विनती पर यहां आई थी इसलिए मुझे मृत्यु दंड देने का आपको कोई अधिकार नहीं उधर दूसरी तरफ युवराज भी अपने पिता को समझाने का हर मुमकिन प्रयास करते हैं लेकिन उसके पिता मानने को तैयार नहीं थे उसने अपने पिता से कहा पिताजी यदि आप इस लड़की को छोड़ देंगे तो आप जैसा कहेंगे मैं वैसा ही करूंगा यह बात सुनकर वह सम्राट अत्यधिक प्रसन्न हुआ और उस सम्राट ने उस लड़की को जाने दिया उसके बाद उस सम्राट ने अपने राजकुमार का विवाह राजकुमारी के साथ किया वह राज हमारी बहुत ही महत्वकांक्षी थी वह जल्द से जल्द इस राज्य की महारानी बनना चाहती थी और इसके लिए युवराज के पिता का मरना जरूरी था अर्थात युवराज के पिता का मृत्यु को प्राप्त करना आवश्यक था आगे 

वह राजकुमारी युवराज से कहती है कि अब आपके पिता बूढ़े हो चुके हैं अब आपको ही इस राज्य भार को संभालना चाहिए अब वह इतने बूढ़े हो चुके हैं कि उनसे यह राज पाठ नहीं संभलता वह उसे ठीक से नहीं चला पा रहे हैं और वह अब उसके काबिल भी नहीं है और बुढ़ापे में अक्सर ऐसा ही होता है हम किसी भी कार्य को ठीक ढंग से नहीं कर पाते हमारे लिए हर कार्य बोझ बन जाता है राजकुमारी की यह बात सुनकर युवराज भी राजकुमारी की बातों से सहमत हो जाता है युवराज को तो यह पता ही नहीं था कि मन ही मन वह अपने पिता से नाराज है और मन ही मन वह अपने पिता के खिलाफ क्रोध को पाल रहा है वह तुरंत ही अपने पिता के पास गया उसने राजा से कहा पिताजी अब आप बूढ़े हो चुके हो और आपको अब आराम करना चाहिए आप मुझे सम्राट घोषित कर दो अब से मैं इस राज्य भार को संभालूं इस पर वह सम्राट युवराज से कहता है बेटा तुम अभी इस काबिल नहीं हुए हो कि मैं तुम्हें यह पूरा राज्य भार सौंप दूं तुम जिस दिन इसके काबिल हो जाओगे मैं तुम्हें स्वयं ही इस राज्य का सम्राट घोषित कर दूंगा ऐसे ही काफी समय बीत चुका था धीरे-धीरे उस राज्य में सब कुछ बदलता जा रहा था और इधर राजकुमार मन ही मन अपने पिता के खिलाफ षड्यंत्र कर रहा था उसके मन में जो क्रोध पल रहा था

 वह अब एक चिंगारी से आग का रूप ले चुका था वह मन ही मन अपने पिता का दुश्मन बन चुका था इधर राजकुमारी ने राजकुमार के पिता को रास्ते से हटाने का एक उपाय बनाया उस समय पड़ोसी राज्य ने इस राज्य पर आक्रमण किया था और इसी युद्ध के दौरान वह राजकुमारी चाहती थी कि सम्राट मृत्यु को प्राप्त हो जाए इस युद्ध के दौरान राजकुमारी ने कुछ ऐसा उपाय किया था कि जब सम्राट अकेले पड़ जाए तब पीछे से उस पर वार किया जाए दूसरे ही दिन पड़ोसी राजा ने आक्रमण कर दिया राजा बहादुर से दूसन से लड़ रहा था लेकिन युद्ध के दौरान ठीक इसका उल्टा हो गया 

राजा की जगह पर वह युवराज दुश्मनों के बीच फंस गया था और जब सम्राट ने यह देखा तो वह अपने पुत्र को बचाने के लिए घोड़े पर सवार वह पुत्र की ओर आगे बढ़े इस दौरान युवराज ने सोचा कि यही सबसे सही मौका है मैं अपने पिता के पीछे से पार कर देता हूं और पूरा राज्य फिर मेरा होगा जैसे ही युवराज यह सोच रहा था तभी पीछे से एक दुश्मन ने युवराज पर वार किया लेकिन तभी सम्राट ने उस वार को अपनी छाती पर ले लिया वह तलवार सम्राट के सीने को चीरती हुई आर पार हो गई और सम्राट जमीन पर गिर गया यह देखकर युवराज के हाथों से तलवार छूट गई उसने तुरंत ही अपने पिता को अपने हाथों से घोड़े पर उठाया और वहां से निकल गया रास्ते में सम्राट ने अपने बेटे से कहा बेटा अब तुम काबिल हो चुके हो और मैं तुम्हें इस राज्य का सम्राट घोषित करता हूं जाओ और अपने राज्य को बचा लो इस राज्य को तुम्हारी जरूरत है तुम जैसे वीर योद्धा पर मुझे गर्व है 

इतना कहकर वह सम्राट वीर गति को प्राप्त हो गया अपने पिता के मुख से यह सारी बातें सुनकर राजकुमार बहुत दुखी हो गया उसके मन में जो क्रोध था वह पूरी तरह से करुणा में बदल गया तब उसे एहसास हुआ कि वह अपने पिता से प्रेम प्रेम करता है नफरत नहीं उसे अपनी गलती पर पस्तावा होने लगा और वह तुरंत ही वापस युद्ध भूमि पर लौटा और उसने काफी बहादुरी से युद्ध को लड़ा और अपने पिता की याद में उसने इस युद्ध को तो जीत लिया लेकिन अपने आप से हार गया युद्ध को जीतने बाद वापस महल लौटकर वह बहुत परेशान था 

क्योंकि राजकुमारी ने जो राजा के खिलाफ षड्यंत्र रचा था राजकुमार ने राजकुमारी को आजीवन कारावास का दंड दे दिया कुमार बहुत दुखी था वह स्वयं को भी सजा देना चाहता था वह इस राज्य का सम्राट बनकर अब खुश नहीं था ना ही उसके मन में कोई इच्छा रह गई थी एक दिन वह अपने राज्य का भ्रमण कर रहा था कि तभी रास्ते में उसने एक व्यक्ति को देखा जो रास्ते में नाच रहा था गा रहा था और उसने एक चोगा पहन रखा था 

यह देखकर युवराज उस व्यक्ति के पास गया और उस व्यक्ति से कहने लगा आप कौन है और नाच क्यों रहे हो इस पर वह व्यक्ति कहता है मैं कौन हूं यही तो मैं जानना चाहता हूं मुझे नहीं पता पता कि मैं कौन हूं क्या मैं तुम्हें जानता हूं तुम कौन हो इस पर वह युवराज कहता है मैं इस राज्य का सम्राट हूं इस पर वह व्यक्ति कहता है मुझे भी ऐसा ही लगता था कि मैं इस राज्य का सम्राट हूं 

लेकिन बाद में पता चला कि मुझसे बड़ा भिखारी तो और कोई नहीं है इस पर युवराज कहता है आप समझ नहीं रहे मैं वास्तविक तौर पर इस राज्य का सम्राट ही हूं इस पर वह व्यक्ति कहता है हां हां मैं जानता हूं कि इस राज्य के सम्राट तुम हो लेकिन कभी इस राज्य का सम्राट मैं भी था और मैंने ही अपने हाथों तुम्हारे पिता को यह राज्य सौंपा था और तुम्हारे पिता मेरे सेनापति हुआ करते थे और तुम्हें और तुम्हारे पिता को यह तक नहीं पता होगा कि जिस लड़की के लिए तुमने अपना घर बाहर छोड़ना चाहा था जिस लड़की को तुम्हारे पिता ने मृत्यु दंड देना चाहा था वह पुत्री मेरी ही है यह सुन वह युवराज उस व्यक्ति के चरणों में गिर पड़ा और कहने लगा मैंने अपने पिता से आपके बारे में बहुत कुछ सुना है 

अब आप ही मुझे बताइए कि मैं आगे क्या करूं मुझे अब इस राज्य में कोई मन नहीं है और ना ही मैं कोई सम्राट बनना चाहता हूं इस पर वह व्यक्ति उस सम्राट के हाथों को पकड़ लेता है और उसे एक ऐसी जगह ले जाता है जहां पर एक विशाल वृक्ष था उस वृक्ष की ओर इशारा करते हुए वह व्यक्ति सम्राट से कहता है बेटा उस वृक्ष को देखो इस वृक्ष की तरह सम्राट बनो इस वृक्ष पर कई तरह के प्राणी वास करते हैं लेकिन यह वृक्ष कभी उन्हें हटाता नहीं है बल्कि उनका ख्याल रखता है

उनका ध्यान रखता सबकी रक्षा करता है और सबको भोजन भी देता है और तो और यह वृक्ष हम जैसे पापी इंसानों को भी अपनी छाव में छाया अवश्य देता है और इतना सब कुछ करने के बाद भी इसे रत्ती भर भी अहंकार नहीं है यही इस राज्य का असली सम्राट है लोगों को धोखा देना लोगों को मारना युद्ध की नीतियां बनाना खून बहाना लोगों की जान लेना यह सम्राट का असली कार्य नहीं है जाओ वापस लौट जाओ अपने महल में और लोगों की सेवा करो उनकी रक्षा करो जैसे यह वृक्ष करता है 

तब तुम सही मायने में एक असली सम्राट बन पाओगे केवल लोगों को दिखाने के लिए नहीं अपने आप को पहचानो अपनी खुशी को पहचानो जिसमें तुम्हें खुशी मिलती है वह कार्य करो हम सब तो भटक चुके हैं और इस काल्पनिक दुनिया में यूं ही भटकते चले जा रहे हैं जहां हर कोई हर किसी को बांधना चाहता है अपने कब्जे में रखना चाहता है अपने नीचे रखना चाहता है जब तुम ध्यान से अपने आप को देखोगे अपने आप को समझोगे तब तुम्हें यह एहसास होगा कि हमारे विचार हमारे हैं ही नहीं हमारी सोच हमारी है ही नहीं हम जिस धर्म में जन्म लेते हैं हम तो उस धर्म के बन जाते हैं दोस्तों हमारे जीवन में भी कुछ ऐसा ही होता है हमारे आसपास ऐसे बहुत से लोग होते हैं जो हमें हमेशा कुछ अच्छी तो कुछ कड़वी बातें कहते ही रहते हैं और उनकी हर बात हमें आईना सा दिखा जाती है

 लेकिन हम ऐसे लोगों को ढूंढते रहते हैं जो हमारी हां में हां मिला सके वह हमारी गलती को गल ना कहे और ऐसे लोग हमें बहका सकते हैं क्योंकि हम पहले से ही बहकने के लिए तैयार बैठे हैं जो भी कुछ हम कह रहे हैं जो भी कुछ हम कर रहे हैं वह सब सही है हम कुछ ऐसे लोग चाहते हैं जो हमारे इस हां में हां मिला सके और हमारा साथ दे सके दोस्तों आपने आज के इस पोस्ट से क्या सीखा वह मुझे आप कमेंट में बता सकते हैं इसी के साथ में उम्मीद है कि आपको आज की पोस्ट पसंद आई होगी तो इस पोस्ट को उस इंसान को शेयर करें जिससे यह कहानी सुनने की जरूरत है और उसी के ठीक बाद वेबसाइट को सब्सक्राइब करें तो चलिए फिर मिलते हैं ऐसी एक और नई पोस्ट में एक नए मैसेज के साथ तब तक के लिए अपना ख्याल रखें धन्यवाद 

4 thoughts on “गलत फैसलों से कैसे बचे | Buddhist Story on How to avoid wrong decisions”

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