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Transportation Engineering – ट्रांसपोर्टेशन इंजीनियरिंग

Transportation Engineering – इंडिया की आज रोड कनेक्टिविटी बहुत अच्छी हो गई है खासकर हाईवेज 2014 से 2023 तक पिछले 9 सालों में देश के रोड नेटवर्क में 59 प्र यानी कि 59 पर का इजाफा हुआ है इनफैक्ट देश की तरक्की में रोड नेटवर्क्स का कंट्रीब्यूशन काफी ज्यादा बढ़ गया है इसमें सेंट्रल गवर्नमेंट के भारत माला प्रोजेक्ट का बहुत ज्यादा योगदान रहा है तभी तो देश भर में सॉलिड रोड नेटवर्क्स हाईवेज और एक्सप्रेसवेज डेवलप हो पाए हैं इतना ही नहीं बल्कि 20 तक देश भर में कम से कम 26 ग्रीन एक्सप्रेस वेज बनाने का भी लक्ष्य रखा गया है और मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवेज की ओर से 2022 से 2023 में ही लगभग 10300 किमी नेशनल हाईवेज और रोड्स कंस्ट्रक्ट करवाए गए वहीं इंडिया में 14 नए एयरपोर्ट्स बनाने का काम भी पाइपलाइन में है

 लेकिन सवाल यह है कि मैं यह सब कुछ आपको क्यों बता रही हूं एनी गेस दरअसल आज का जो पोस्ट है उसमें हम कवर करेंगे ट्रांसपोर्टेशन इंजीनियरिंग को हो सकता है आपने ट्रांसपोर्टेशन इंजीनियरिंग यह टर्म सुन रखी हो या जस्ट अभी सुन रहे हैं तो आखिर यह है क्या ट्रांसपोर्ट इंजीनियरिंग में साइंटिफिक और टेक्नोलॉजिकल प्रिंसिपल्स को अप्लाई करते हुए रोड रेल वाटर और एयर जैसे ट्रांसपोर्ट मीडियम को पब्लिक एंड गुड्स दोनों के लिए सेफ फास्ट कंफर्टेबल कन्वीनियंस और इकोनॉमिक बनाया जाता है ट्रांसपोर्ट इंजीनियरिंग भी इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग मैकेनिकल इंजीनियरिंग एरोस्मिथ 

लेकिन ट्रांसपोर्टेशन इंजीनियरिंग सिविल इंजीनियरिंग की एक ब्रांच है जो ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम की प्लानिंग डिजाइनिंग ऑपरेशन और मेंटेनेंस करता है ट्रांसपोर्टेशन इंजीनियरिंग में ना सिर्फ रोड रेल वाटर और एयर जैसे ट्रांसपोर्ट मीडियम की प्लानिंग डिजाइनिंग ऑपरेशन और मेंटेनेंस देखी जाती है 

बल्कि इससे जुड़े इकोनॉमिक पॉलिटिकल और सोशल फैक्टर्स की अंडरस्टैंडिंग पर भी ध्यान दिया जाता है और इसका मेन पर्पस है लोगों की क्वालिटी ऑफ लाइफ को सुधारना ट्रांसपोर्ट इंजीनियरिंग पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को इससे जुड़ी फंडामेंटल थोरेट्स नॉलेज हासिल करनी पड़ती है 

ताकि इंजीनियरिंग कैलकुलेशंस डेमोंस्ट्रेट और एप्लीकेशंस किए जा सके साथ ही इन्हें ट्रांसपोर्ट अर्बन और रीजनल प्लानिंग के जरिए इंटरडिपेंडेंसीज का असेसमेंट भी करना पड़ता है क्योंकि रेल रोड हाईवेज वाटर वेज एंड एयर ट्रांसपोर्ट में हैवी इंजीनियरिंग होती है तो इस प्रोफेशन में काम कर रहे लोगों को ढेर सारी जिम्मेदारियां भी निभानी पड़ती है 

जैसे ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम के लिए डिजाइन और कंस्ट्रक्शन प्लान ड्राफ्ट करना ट्रैफिक प्रॉब्लम्स को इन्वेस्टिगेट करना पड़ता है और प्रॉब्लम्स का सलूशन भी देना होता है प्रोजेक्ट क डिलीट करने के लिए अवेलेबल इंजीनियरिंग डाटा को एनालाइज करना पड़ता है कंक्लूजन पर आना पड़ता है और जरूरत के हिसाब से रिकमेंडेशंस भी देने पड़ते हैं प्रोजेक्ट के लिए लगने वाले लेबल मटेरियल और इक्विपमेंट के हिसाब से बजट कैलकुलेट करना पड़ता है कांट्रैक्टर्स और लोकल ऑर्गेनाइजेशंस के साथ प्लान डिस्कस करना पड़ता है 

अगर प्रोजेक्ट बनने से पब्लिक की पर्सनल प्रॉपर्टी को नुकसान हो रहा है या उसका अधि ग्रहण करना पड़ रहा है तो उसकी भरपाई का हिसाब भी लगाना पड़ता है प्रोजेक्ट का इंस्पेक्शन करते रहना स्टैंडर्ड मेंटेन करना और सेफ्टी इंश्योर करनी पड़ती है वन रही ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम का आसपास के वातावरण और ओवरऑल पर्यावरण पर क्या असर पड़ेगा उसे भी देखना पड़ता है

प्रोजेक्ट से जुड़े सर्वे को अंजाम देना होता है और लेआउट तैयार करने पड़ते हैं और प्रोजेक्ट से जुड़े सभी स्टेकहोल्डर्स को रिपोर्ट भी सबमिट करनी पड़ती है 

ट्रांसपोर्टेशन इंजीनियरिंग की  स्किल्स

अब रही बात स्किल्स की तो एक ट्रांसपोर्टेशन इंजीनियर में इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी की टेक्निकल नॉलेज प्रोजेक्ट मैनेजमेंट स्किल्स डिजाइन टेक्निक्स मिक्स पर्टी एनालिटिकल सॉफ्टवेयर को यूज करने की काबिलियत कंप्यूटर एडेड डिजाइन सॉफ्टवेयर यूज़ करने की प्रोफिशिएंसी प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल्स और रिटर्न एंड इफेक्टिव ओरल कम्युनिकेशन स्किल्स भी होनी चाहिए

 इंडिया में किसी भी टॉप लेवल के इंजीनियरिंग इंस्टिट्यूट तक आपकी पहुंच तभी बनती है जब आप जेईई या जॉइंट एंट्रेंस एग्जाम को क्लियर करते हैं इनफैक्ट कई बार हम अपने पोस्ट में मेंशन भी करते हैं कि अगर आपने साइंस स्ट्रीम में फिजिक्स केमिस्ट्री और मैथ के साथ क्लास 12थ पास की है तो आप जेईई की तैयारी कर सकते हैं इसकी दो दोनों फेज जेईई मेन और जेईई एडवांस क्वालीफाई करने पर और ऑल इंडिया बेसिस पर अच्छा रैंक लाने पर आपको अच्छे इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला मिल जाता है 

वैसे कुछ वेल नोन इंजीनियरिंग कॉलेजेस की बात करें तो जे एन टीयू एच कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग हैदराबाद एमटी यूनिवर्सिटी गुरुग्राम मेवाड़ यूनिवर्सिटी चित्तौड़गढ़ निम्स यूनिवर्सिटी जयपुर कोयंबतूर इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी बिटस बिलानी चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी और स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग यूपीईएस देहरादून से भी आप ट्रांसपोर्टेशन इंजीनियरिंग कर सकते हैं 

वहीं अगर आईआईटी की बात करें 

तो आईआईटी मद्रास आईआईटी खड़कपुर आईआईटी कानपुर और आईआईटी भुवनेश्वर से भी आप ट्रांसपोर्टेशन इंजीनियरिंग की डिग्री ले सकते हैं आईआईटी कानपुर की वेबसाइट पर आपको इसकी डिटेल्स मिल जाएगी जहां पर मेंशन है कि ट्रांसपोर्टेशन इंजीनियरिंग में स्टूडेंट्स क्या-क्या सीखते हैं 

जैसे ट्रैफिक इंजीनियरिंग में ट्रैफिक फ्लो थरी ड्राइवर बिहेवियर मॉडलिंग और क्राउड डायनेमिक्स इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम्स में बिग डाटा एनालिटिक्स मशीन लर्निंग कनेक्टेड और ऑटो कॉमर्स व्हीकल्स के बारे में रोड सेफ्टी में स्टैटिस्ट कल मॉडलिंग ऑफ क्रैशेज एनालिसिस ऑफ रोड यूजर बिहेवियर और ट्रैफिक कॉन्फ्लेट एनालिसिस नेटवर्क्स में ट्रांसपोर्टेशन नेटवर्क मॉडलिंग ऑप्टिमाइजेशन एंड कंट्रोल और नेटवर्क डिजाइनिंग इंफ्रास्ट्रक्चर मैनेजमेंट में फैसिलिटी लेवल डिटे रेशन एंड इंप्रूवमेंट मॉडलिंग इंफ्रास्ट्रक्चर कंडीशन का ऑटोमेटेड डेटा कलेक्शन और डिजास्टर रिकवरी ट्रांजिट सिस्टम में रूट डेवलपमेंट स्केड्यूल डेवलपमेंट और सिस्टम इवैल्यूएशन पेव मेंट इंजीनियरिंग में पेव मेंट डिजाइन पेव मेंट एनालिसिस रिहैबिलिटेशन ऑफ पेमेंट्स और मटेरियल इंजीनियरिंग में मटेरियल कैरेक्ट आइजे रीसाइकलिंग ऑफ इंफ्रास्ट्रक्चर मटेरियल और केमिकल स्टेबलाइजेशन ऑफ सॉइल्स 

जैसी एक्सपर्टीज हासिल करना सिखाया जाता है ट्रांसपोर्टेशन इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन के बाद अगर आप मास्टर्स के लिए जाएंगे तो एमटेक इन ट्रांसपोर्टेशन इंजीनियरिंग कर सकते हैं इसके लिए बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग या बीटेक इन सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री होनी चाहिए 

एमटेक करने के लिए आईआईटी दिल्ली आईआईटी बॉम्बे आईआईटी खड़गपुर एनआईटी त्रिची एनआईटी राउरकेला और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग साइंस एंड टेक्नोलॉजी हावड़ा को भी प्रेफरेंस दे सकते हैं यह अपने लेवल पर भी आप सर्च करके कोई अच्छा इंस्टिट्यूट जवाइन कर सकते हैं एमटेक इन ट्रांसपोर्टेशन इंजीनियरिंग के बाद भी अगर आप स्पेशलाइजेशन करना चाहते हैं तो पीएचडी इन ट्रांसपोर्टेशन इंजीनियरिंग मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन यानी कि एमबीए जियोग्राफिक इंफॉर्मेशन सिस्टम्स यानी कि जीआईएस सर्टिफिकेशन और प्रोजेक्ट मैनेजमेंट प्रोफेशनल यानी कि पीएमपी सर्टिफिकेशन कर सकते हैं 

अगर आप स्पेसिफिक गवर्नमेंट जॉब में जाने की सोचेंगे 

तो स्टेट नेशनल और लोकल गवर्नमेंट एजेंसीज और डिपार्टमेंट्स में भी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट ट्रांसपोर्टेशन प्लानिंग और ट्रैफिक मैनेजमेंट जैसे रूल्स पर जा सकते हैं 

अगर आप किसी यूरोपियन कंट्री से ट्रांसपोर्टेशन इंजीनियरिंग की पढ़ाई करना चाहते हैं

 तो ब्रिस्टल यूके की यूनिवर्सिटी ऑफ द वेस्ट ऑफ इंग्लैंड से एमएससी इन ट्रांसपोर्ट इंजीनियरिंग एंड प्लानिंग स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम की केटीएच रॉयल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एमएससी इन व्हीकल इंजीनियरिंग स्वीडन की चाल्मर्स यून र्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी से मोबिलिटी इंजीनियरिंग इन रेलवे टेक्नोलॉजी लिथुआनिया की कॉनस यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी से पीएचडी इन ट्रांसपोर्ट इंजीनियरिंग और लिथुआनिया की ही क्लेपे दिया यूनिवर्सिटी से मरीन ट्रांसपोर्ट इंजीनियरिंग कर सकते हैं ट्रांसपोर्टेशन इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद जिन जॉब प्रोफाइल्स पर कैंडिडेट को काम मिलता है वह है ट्रांसपोर्टेशन प्लानर जिन्हें ट्रांसपोर्टेशन के लिए इफेक्टिव स्ट्रेटेजी बनानी पड़ती हैं प्लांस रिपोर्ट्स अकाउंट कंट्रोल इन्वेंटरी शेड्यूलिंग और स्टाफ एंड कांट्रैक्टर मैनेजमेंट का काम देखना पड़ता है एक ट्रैफिक इंजीनियर को ग्राउंड ट्रांसपोर्ट सिस्टम डिजाइन करना पड़ता है रोड्स और रेलवेज 

जैसे सिविल एंड ट्रांसपोर्ट इंजीनियरिंग डेवलप करना पड़ता है साथ ही अपने फील्ड्स में यूज़ होने वाले टूल्स एंड सॉफ्टवेयर की मदद से ट्रैफिक पर रिसर्च भी करनी पड़ती है और प्रोजेक्ट में शामिल स्टेकहोल्डर्स को भी अपडेट्स देने होते हैं वहीं एक ट्रांसपोर्टेशन मॉडलर को ट्रांसपोर्टेशन प्लानिंग असाइनमेंट्स मिलने पर माइक्रो सिमुलेशन ट्रेवल डिमांड फोरकास्टिंग ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम मैनेजमेंट कॉरिडोर स्टडीज और ट्रैफिक ऑपरेशंस को देखना होता है एक ट्रांसपोर्टेशन इनोवेशन एनालिस्ट को इनोवेटिव आइडियाज के साथ फ्यूचर प्रोजेक्ट डिसीजंस भी लेने पड़ते हैं और करंट प्रोजेक्ट्स को इवेलुएट करते हुए सोशल इंपैक्ट कैलकुलेट करना होता है 

इसके अलावा एक ट्रांसपोर्टेशन एग्जीक्यूटिव को ट्रांसपोर्टेशन सर्विसेस से जुड़ी चीजों के लिए अपनी एडवाइज एडमिनिस्ट्रेशन गाइडलाइन सुपरवाइजर एंड क्लेरिक और टेक्निकल वर्क भी करना होता है इन जॉब प्रोफाइल्स के अलावा भी हाईवे इंजीनियर रेलवे इंजीनियर एयरपोर्ट इंजीनियर सस्टेनेबल ट्रांसपोर्टेशन स्पेशलिस्ट ट्रांसपोर्टेशन कंसल्टेंट और रिसर्च इंजीनियर के तौर पर भी प्रोफेशनल्स काम करते हैं amazononline.in ट्र पोर्टेशन इंजीनियर्स को हायर करते हैं ग्लास डोर पर अवेलेबल डाटा के अकॉर्डिंग इंडिया में ट्रांसपोर्टेशन इंजीनियर्स को एवरेज बेस पे के तौर पर 5 से 9 लाख की एनुअल सैलरी मिलती है वहीं सैलरी रेंज ₹१० लाख तक जाती है और बढ़ते एक्सपीरियंस स्किल्स नॉलेज और क्वालिफिकेशन के हिसाब से यह और भी ज्यादा हो सकती है 

आने वाले अगले एक दशक में देश की तरक्की को रफ्तार देने के लिए सिर्फ रेलवे में ही 7 लाख करोड़ रुपए का बजट डिसाइड किया गया है इसकी घोषणा इसी साल पास हुए बजट में की गई थी जिसके जरिए 50000 किमी नए ट्रेन ट्रैक बनाए जाएंगे और मॉडर्नाइजेशन भी की जाएगी 

ताकि रेलवे नेटवर्क को बूस्ट किया जा सके वहीं सड़क परिवहन और राज मार्ग मंत्रालय को बजट से 2.78 लाख करोड़ का बजट और मिनिस्ट्री ऑफ सिविल एविएशन को 2300 करोड़ का बजट मिला है 

इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इंफ्रास्ट्रक्चर वाइज इंडिया की ग्रोथ के लिए जिस एक्सपर्टीज और मैनपावर की जरूरत है 

उसमें ट्रांसपोर्टेशन इंजीनियर्स की भी काफी डिमांड रहेगी तो उम्मीद है कि ट्रांसपोर्टेशन इंजीनियरिंग जैसी यूनिक इंजीनियरिंग विंग के बारे में इस पोस्ट से आपको अच्छी खासी नॉलेज मिली होगी लेकिन आपकी राय क्या है इस बारे में यह जानकारी कैसी लगी आपको कमेंट सेक्शन में प्लीज अपना प्यार और सपोर्ट हमें जरूर शेयर कीजिएगा साथ ही साथ शेयर करना बिल्कुल ना भूले अपने दोस्तों के साथ और आगे किस बारे में जानना चाहते हैं टॉपिक या सब्जेक्ट हमें लिख भेजिए तो मैं संदीप पारिक फिलहाल आपसे कहूंगी जल्दी ही मिलेंगे लेकिन तब तक के लिए अपडेट रहिए  गवर्नमेंट सर्विस  के साथ शेयर करते रहिए धन्यवाद

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