What is GDP? जीडीपी क्या है?

What is GDP? जीडीपी क्या है?

यूनाइटेड स्टेट्स चाइना जर्मनी और इंडिया यह चारों कंट्रीज साल 2025 की टॉप इकॉनमीस हैं क्योंकि इनकी जीडीपी सबसे ज्यादा है लेकिन यह जीडीपी क्या होती है जानने के लिए देखते रहिए  

तो जीडीपी जिसकी फुल फॉर्म होती है ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट यानी कि सकल घरेलू उत्पाद यह एक तरीका है जिसके जरिए हम यह जान सकते हैं कि एक देश ने एक साल में अपने देश के अंदर कितने गुड्स और सर्विज बनाई हैं 

आपको बता दें कि गुड्स यानी वह चीजें जिन्हें हम खरीदते और बेचते हैं जैसे फल सब्जी और अनाज जैसे फूड प्रोडक्ट्स कपड़े जूते और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे कंज्यूमर प्रोडक्ट्स और मशीन और कारों जैसे इंडस्ट्रियल प्रोडक्ट्स और सर्विसेज 

यानी कि सेवाएं जैसे हेल्थ केयर सर्विसेज एजुकेशनल सर्विसेज फाइनेंसियल सर्विज और ट्रांसपोर्टेशन सर्विज इस जीडीपी से यह पता चलता है कि एक देश की इकॉनमी कितनी बड़ी है 

अगर जीडीपी ज्यादा है तो उस देश की इकॉनमी भी ज्यादा है यानी वह देश आर्थिक रूप से मजबूत स्थिति में है जीडीपी से यह भी जाना जाता है कि एक देश की इकॉनमी कितनी तेजी से ग्रो कर रही है 

अगर जीडीपी बढ़ रही है यानी पॉजिटिव जीडीपी ग्रोथ है तो इकॉनमी ग्रो कर रही है और नेगेटिव जीडीपी ग्रोथ है तो उस देश की इकॉनमी अच्छा परफॉर्म नहीं कर रही है जो कि मंदी का संकेत है 

दो देशों की इकॉनमी को कंपेयर करने के लिए भी जीडीपी का यूज किया जाता है ताकि पता लगाया जा सके कि किस देश की इकॉनमी ज्यादा स्ट्रांग है इसकी मदद से पॉलिसी बनाने में भी काफी मदद मिलती है क्योंकि गवर्नमेंट और सेंट्रल बैंक्स जीडीपी की ग्रोथ रेट को देखकर ही अपनी इकॉनमिक पॉलिसीज बनाते हैं 

अगर जीडीपी की ग्रोथ रेट ज्यादा है 

तो ऐसी सिचुएशन में गवर्नमेंट इन्वेस्टमेंट बढ़ाने या टैक्स को कम करने जैसे डिसीजंस ले सकती हैं ताकि डेवलपमेंट और तेजी से हो सके 

वहीं अगर जीडीपी की ग्रोथ रेट कम हो 

या नेगेटिव हो तो इसका मतलब है कि देश की इकॉनमी कमजोर हो रही है ऐसे में गवर्नमेंट इकोनॉमिक असिस्टेंस देने के लिए नए उपाय अपना सकती है जैसे लो इंटरेस्ट रेट्स इन्वेस्टमेंट को बढ़ावा देना और सरकारी खर्च को बढ़ाना इस तरह जीडीपी गवर्नमेंट्स को यह समझने में मदद करती है कि अर्थव्यवस्था कैसी चल रही है और किस दिशा में हमें कदम उठाने चाहिए इन्वेस्टर्स भी जीडीपी को देखकर के ही इन्वेस्टमेंट डिसीजंस लेते हैं 

क्योंकि हाई जीडीपी वाली इकॉनमी में इन्वेस्ट करना सेफ होता है और हर देश अपनी इकॉनमी को समझने और उसमें सुधार करने के लिए जीडीपी का यूज करते हैं

एक कंट्री की जीडीपी को कैलकुलेट करते समय उसके रिसोर्सेज इंडस्ट्रीज इंफ्रास्ट्रक्चर और एक्सपोर्ट्स को कंसीडर किया जाता है 

जीडीपी की शुरुआत 1923 में अमेरिकन इकोनॉमिस्ट साइमन कुजेंस ने की थी और आज जीडीपी एक वर्ल्ड वाइड स्टैंडर्ड है जिससे इकॉनमीज़ की ग्रोथ और परफॉर्मेंस को मेजर किया जाता है 

किसी भी देश की जीडीपी कैलकुलेट करते समय बेस ईयर का यूज किया जाता है जो कि जीडीपी की कैलकुलेशन के लिए रेफरेंस के तौर पर यूज़ होता है 

भारत में जीडीपी कैलकुलेशन के लिए बेस ईयर पहले 2011 से 2012 था जिसे साल 2026 से 2022 से 2023 में बदला जा सकता है 

उदाहरण के तौर पर अगर बेस ईयर 2011 से 2012 है तो जब हम 2025 की जीडीपी की कैलकुलेशन करेंगे तो हम 2011 से 2012 की कीमतों से तुलना करेंगे ताकि यह पता चले कि बिना महंगाई के असर को शामिल किए असल में कितना डेवलपमेंट हुआ है भारत की जीडीपी कैलकुलेट करने के लिए एनएसओ यानी नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस रिस्पांसिबल है 

चलिए अब जीडीपी को हम थोड़ा और बेहतर तरीके से समझने के लिए

 इसकी कुछ इंपॉर्टेंट टर्म्स को जानते हैं रियल जीडीपी यह टर्म बताती है कि एक देश की रियल इकॉनमी कितनी बढ़ी है 

लेकिन इसमें महंगाई यानी इनफ्लेशन के प्रभाव को हटा दिया जाता है यह हमेशा एक फिक्स्ड प्राइस के हिसाब से बेस ईयर के अकॉर्डिंग कैलकुलेट होती है एग्जांपल के लिए 

अगर पिछले साल एक चीज की कीमत ₹100 थी और इस साल उसकी कीमत ₹110 हो गई है तो रियल जीडीपी यह दिखाएगा कि असल में वो सामान कितना प्रोड्यूस हुआ बिना कीमत बढ़ने के असर को कैलकुलेट किए वहीं नॉमिनल जीडीपी करंट मार्केट प्राइसेस पर कैलकुलेट होती है इसमें महंगाई का असर भी शामिल किया जाता है यानी 

अगर इस साल सामान महंगे हो गए हैं तो नॉमिनल जीडीपी में उन महंगी चीजों का असर भी दिखाई देगा 

जैसे अगर किसी सामान की कीमत पिछले साल ₹100 थी और इस साल ₹110 हो गई है तो नॉमिनल जीडीपी में 10% की बढ़ोतरी दिखाई देगी और यह बढ़ोतरी सिर्फ कीमतों के बढ़ने की वजह से होगी ना कि प्रोडक्शन के बढ़ने की वजह से अब जानते हैं 

जीडीपी पर कैपिटा का मतलब हैं?

तो यह टर्म एक पर्सन के लिए जीडीपी का रेश्यो बताती है यानी एक पर्सन को उस देश की टोटल जीडीपी में से कितना हिस्सा मिल रहा है उदाहरण के तौर पर अगर किसी देश की जीडीपी ₹1 लाख है और वहां की पपुलेशन 10,000 है तो जीडीपी पर कैपिटा होगी ₹1 लाखेड बाय 10,000 इज इक्वल टू ₹10 यानी हर पर्सन को एवरेज ₹10 मिल रहे हैं तो इससे हम समझ सकते हैं कि उस देश में लोगों की इनकम और स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग कैसा है 

अब जानते हैं जीडीपी ग्रोथ रेट के बारे में 

तो यह रेट बताती है कि एक कंट्री की इकॉनमी किस स्पीड से ग्रो कर रही है अगर किसी देश की जीडीपी ग्रोथ रेट 5% है तो इसका मतलब उस देश की इकॉनमी पिछले साल के कंपैरिजन में 5% ज्यादा ग्रो हुई है जीडीपी से जुड़ी दो और कॉमन टर्म्स हैं एनडीपी और एनएपी एनडीपी यानी नेट डोमेस्टिक प्रोडक्ट इसमें जीडीपी में से डेप्रिसिएशन को घटाया जाता है डिप्रिसिएशन का मतलब है मशीन या बिल्डिंग्स का समय के साथ पुराने हो जाने से उनकी कीमतों का घट जाना उदाहरण के तौर पर आप मान लीजिए किसी कंपनी के पास एक मशीन है जिसकी कीमत ₹1 लाख है समय के साथ वह मशीन पुरानी हो जाती है और उसकी कीमत घट के ₹90,000 हो जाती है तो ₹10,000 की कमी डिप्रिसिएशन कहलाएगी 

अब जब हम जीडीपी में से यह ₹10,000 घटाते हैं तो हमें एनडीपी मिलता है जो असल में देश के प्रोडक्शन को दिखाता है जिसमें पुराने सामान की कीमत घटने का असर नहीं होता यह केवल देश के अंदर प्रोड्यूस हुए गुड्स और सर्विज को शामिल करता है इससे हम जान सकते हैं कि देश का एक्चुअल प्रोडक्शन कितना है जो केवल नए गुड्स और सर्विज को दिखाता है और आखिर में है एनएपी यानी नेट नेशनल प्रोडक्ट जिसमें भी जीडीपी में से डिप्रिसिएशन को माइनस किया जाता है 

लेकिन जहां एनडीपी किसी देश की सीमा के अंदर एक फिक्स्ड टाइम पीरियड में जितने भी फिनिश्ड गुड्स और सर्विज बनते हैं उनका टोटल वैल्यू है वहीं एनएपी में उस देश के सभी सिटीजंस के द्वारा दुनिया भर में किए गए प्रोडक्शन को शामिल किया जाता है चाहे वह विदेश में हो जैसे अगर किसी इंडियन ने विदेश में काम करके पैसा कमाया है तो उसे एनएपी में शामिल किया जाएगा एनडीपी में नहीं इस तरह एनडीपी सिर्फ देश के अंदर का प्रोडक्शन देखता है और एनएपी उस देश के हर सिटीजन के प्रोडक्शन को भी ध्यान में रखता है 

अब बारी आती है जीडीपी को कैलकुलेट करने के तीन तरीके जानने की जो हैं एक्सपेंडिचर मेथड इनकम मेथड और आउटपुट मेथड 

  • पहले जानते हैं एक्सपेंडिचर मेथड के बारे में यानी खर्च का तरीका इस मेथड में हम यह देखते हैं कि लोग गवर्नमेंट और बिजनेसेस ने अपना पैसा कहां-कहां खर्च किया इसके लिए यह फार्मूला यूज किया जाता है जीडीपी = c + g + i + nx इसमें सी यानी कंजमशन में वो पैसा आता है जो लोग अपनी रोजमर्रा की जरूरतों के लिए खर्च करते हैं जैसे शॉपिंग में खाने में एटसेट्रा जी यानी गवर्नमेंट स्पेंडिंग में गवर्नमेंट का खर्च आता है जैसे रोड्स बनाना हॉस्पिटल और स्कूल बनाने में होने वाला खर्चा आय यानी इन्वेस्टमेंट का मतलब बिजनेसेस और लोग अपने बिजनेस को बढ़ाने के लिए जो पैसा लगाते हैं जैसे मशीनरी खरीदने में और एनएक्स यानी नेट एक्सपोर्ट्स जो एक्सपोर्ट्स और इंपोर्ट्स के बीच का डिफरेंस होता है इस एक्सपोर्ट में से इंपोर्ट को घटाकर निकाला जाता है एक्सपोर्ट में आती है वो चीजें जिन्हें दूसरे देश में बेचा जाता है और इंपोर्ट में वो चीजें आती हैं जिन्हें हम दूसरे देशों से खरीदते हैं अगर एक्सपोर्ट ज्यादा होता है तो जीडीपी में ऐड होता है और अगर इंपोर्ट ज्यादा होता है तो जीडीपी में से माइनस होता है अब अगर हम इस फार्मूला को अप्लाई करके किसी देश की जीडीपी निकालें 

तो मान लीजिए एक देश का सी यानी कंसम्पशन 600 करोड़ है जी यानी गवर्नमेंट स्पेंडिंग 200 करोड़ आई यानी इन्वेस्टमेंट 100 करोड़ और एनएक्स यानी नेट एक्सपोर्ट्स 100 करोड़ है तो उस देश की जीडीपी होगी सी + जी +i + एनx = 600 + 200 + 100 + 100 = 1000 करोड़ जो यह बताता है कि उस देश में एक साल में टोटल 1000 करोड़ का खर्च किया गया है जो गुड्स और सर्विज की खरीददारी पर आधारित है 

  • अब बात करें जीडीपी निकालने के दूसरे तरीके की जो है इनकम मेथड या आय का तरीका इस मेथड में इकॉनमी के अंदर जितनी इनकम आए उसे जोड़ते हैं 

जैसे सैलरी किराया इंटरेस्ट प्रॉफिट्स एटरा इसका फार्मूला है जीडीपी इज इक्वल टू टोटल इनकम यानी सैलरी प्रॉफिट्स एसेट्रा प्लस टैक्स प्लस डिप्रिसिएशन सैलरी या वेजेस का मतलब जो पैसा लोगों को काम करने पर मिलता है रेंट यानी घर या ऑफिस के लिए दिया जाने वाला पैसा होता है इंटरेस्ट बैंक से लिए गए लोंस पर दिया जाने वाला पैसा होता है प्रॉफिट्स बिजनेस से होने वाली इनकम से जुड़ा है टैक्स सरकार द्वारा ली जाने वाली फीस होती है और डेप्रिसिएशन बिजनेस की मशीनरी या एसेट्स के पुराने होने पर होने वाला लॉस होता है 

अब अगर मान लीजिए एक देश में टोटल सैलरी या वेजेस ₹500 करोड़ हैटोटल रेंट 150 करोड़ टोटल इंटरेस्ट 50 करोड़ टोटल प्रॉफिट्स 150 करोड़ टोटल टैक्स 100 करोड़ और टोटल डिप्रिसिएशन 50 करोड़ है तो उस कंट्री की जीडीपी होगी जीडीपी इक्वल टू टोटल इनकम यानी सैलरी प्रॉफिट्स एसेट्रा प्लस टैक्स प्लस डिप्रिसिएशन यानी 500 + 150 + 50 + 150 + 100 + 50 = 1000 करोड़ और जीडीपी कैलकुलेट करने का 

  • तीसरा तरीका है आउटपुट मेथड या उत्पादन तरीका इस मेथड में जाना जाता है कि एक कंट्री में कितना सामान बनाया गया है और किस प्राइस पर बनाया गया है इसका फार्मूला है जीडीपी इक्वल टू रियल जीडीपी यानी कॉन्स्टेंट प्राइसेस माइनस टैक्सेस प्लस सब्सिडीज यहां एक बात और जान लेते हैं कि रियल जीडीपी हमेशा एक फिक्स्ड प्राइस के हिसाब से बेस ईयर के अकॉर्डिंग कैलकुलेट होती है टैक्सेस गवर्नमेंट द्वारा ली जाने वाली फीस होती है और सब्सिडीज गवर्नमेंट के द्वारा दी जाने वाली छूट या फाइनेंशियल डिस्काउंट्स होते हैं इसे समझने के लिए 

मान लीजिए कि एक देश की रियल जीडीपी ₹1100 करोड़ है टैक्सेस ₹150 करोड़ है और सब्सिडीज ₹50 करोड़ है तो जीडीपी होगी रियल जीडीपी यानी कास्टेंट प्राइसेस माइनस टैक्सेस प्लस सब्सिडीज यानी 1100 करोड़ -150 करोड़ प्लस ₹50 करोड़ इक्वल टू ₹1000 करोड़ जीडीपी निकालने के इन तीनों तरीकों का इस्तेमाल अलग-अलग पर्पस के लिए किया जाता है जैसे देश के कुल खर्च का पता लगाने के लिए एक्सपेंडिचर मेथड का देश की टोटल इनकम का पता लगाने के लिए इनकम मेथड का और देश के टोटल प्रोडक्शन का पता लगाने के लिए आउटपुट मेथड का यूज़ किया जाता है थ्योरिटिकली जीडीपी की कैलकुलेशन किसी भी मेथड से की जाए उसकी वैल्यू सेम आनी चाहिए 

लेकिन रियलिटी में इसमें थोड़ा डिफरेंस आ सकता है चलिए अब जीडीपी के इतने सारे फायदे और फार्मूलाज़ जानने के बाद इसकी लिमिटेशंस पर भी एक नजर डाल लेते हैं जीडीपी में नॉन मार्केट ट्रांजैक्शंस को नहीं गिना जाता यानी उसमें उन चीजों की गिनती नहीं होती है जो कि मार्केट में नहीं होती जैसे घर का काम और वेंटरी वर्क इसमें एनवायरमेंटल डैमेज को भी शामिल नहीं किया जाता और इनकम इनकलिटी के बारे में भी नहीं पता चलता 

इस तरह जीडीपी एक देश की इकोनॉमिक हेल्थ और ग्रोथ रेट को समझने में मदद करती है लेकिन यह सब कुछ नहीं बताती अब आप हमें कमेंट सेक्शन में बताइए कि जीडीपी के बारे में इस पोस्ट में आपने जितना कुछ जाना है वो आपको कितना समझ में आया और यह पोस्ट आपके लिए कितना हेल्पफुल रहा है तो शेयर करना बिल्कुल ना भूलें कमेंट सेक्शन में अपना प्यार और सपोर्ट हमें भेजते रहिए अपने सवाल भेजते रहिए साथ ही नॉलेज की जर्नी यूं ही चलती रहे उसके लिए गवर्नमेंट सर्विस वेबसाइट को सब्सक्राइब करके बेल आइकॉन को प्रेस कर दीजिए 

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