Diwali से पहले PM Modi का सबसे बड़ा मास्टरस्ट्रोक! | Free Ration :- भारतीय शेयर बाजार की नजर पांच राज्यों में होने वाले चुनाव पर है इसके अगले ही साल यानी 2024 में लोकसभा का भी इलेक्शन है यानी देश की गद्दी पर कौन बैठेगा इसका फैसला होगा अब आपको तो पता ही होगा कि ग्लोबल ब्रोकरेज हाउस भी समय-समय पर अपनी रिपोर्ट पेश करते रहते हैं और कहते हैं कि यह सरकार आई तो बाजार रॉकेट और नहीं आई तो करेक्शन तो चलिए आज की बड़ी खबर से आपको रूबरू करवा देते हैं
भारत समेत दुनिया के तमाम देशों में जब कोरोना वायरस महामारी अपने चरम पर था तो लोगों की जान बचाने के लिए केंद्र सरकार को मजबूरी में देश भर में लॉकडाउन लगाना पड़ा था इस कारण लोगों की नौकरियां जाने लगी लोगों के सामने दो वक्त की रोटी का संकट आन पड़ा गरीबों के सामने खाने पीने का संकट खड़ा हो गया था देश संकट के हालत में था उस वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों के दर्द को समझा पीएम मोदी ने इस विकट परिस्थिति में भी ठाना कि लोगों को भूखे पेट ना सोना पड़े उसके बाद पीएम मोदी की पहल पर प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्य योजना की शुरुआत की की गई इस योजना के तहत केंद्र सरकार गरीबों को हर महीने 5 किलो मुफ्त अनाज देने लगे इसी योजना को लेकर एक बड़ी खबर सामने आ रही है
अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन योजना को अगले 5 साल और बढ़ाने का ऐलान कर दिया है
मार्केट एक्सपर्ट और पॉलिटिकल एनालिस्ट मोदी के इस कदम को मास्टर स्ट्रोक मान रहे हैं लेकिन आप सोच रहे होंगे कि यह तो पॉलिटिकल न्यूज़ है हम बिजनेस चैनल है तो इस खबर से हमारा क्या सरोकार जनाब अगर सरकार इस योजना को दिसंबर 2028 तक लागू रखती है तो इसके लिए सरकार को हर साल 400 लाख टन से ज्यादा अनाज की जरूरत पड़ेगी क्योंकि 80 करोड़ से ज्यादा लोगों को हर महीने 5 किलो अनाज दिया जाएगा अप्रैल 2020 में जब यह योजना शुरू की गई थी तब से दिसंबर 2022 तक इस योजना पर सरकार ने कुल 3.91 लाख करोड़ रपए खर्च किए
इस लिहाज से देखा जाए तो सरकार ने इस योजना पर हर साल करीब 1.30 से लेकर 1.35 लाख करोड़ रपए खर्च कर दिए हैं इसी तरह अगले 5 साल में इस योजना पर सरकार को करीब 6.5 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करना होगा
यानी सरकार पर बड़ा बोझ पड़ने वाला है बता दें ये खर्च की कीमत और भी आगे बढ़ सकती है क्योंकि खर्च का यह अनुमान मौजूदा भाव पर कैलकुलेट किया गया है अगर अनाज की कीमत बढ़ती है जो स्वाभाविक है कि बढ़ेगी ही तब ये खर्च और अधिक हो जाएगा
अब दूसरी चुनौती पर बात कर लेते हैं मुफ्त राशन योजना के लिए अनाज की सप्लाई कर पाना भी एक बड़ी चुनौती होगी
सरकार हर साल किसानों से गेहूं और चावल की खरीद के लिए लक्ष निर्धारण करती है यानी टारगेट बनाती है लेकिन बीते दो सालों में खरीद का टारगेट पूरा नहीं हो पाया है इस वजह से सरकार के गोदामों में चावल और गेहूं का सीमित स्टॉक है वहीं बाजार में महंगाई कंट्रोल करने के लिए भी सरकार खुले बाजार में गेहूं और चावल की सेल करने के लिए अपने स्टॉक में चावल और गेहूं रखती है
जबकि इस साल किसानों से चावल की खरीद पिछले साल के मुकाबले कम रही है ऐसे में फ्री राशन की सप्लाई के लिए सरकार के पास गेहूं और चावल की किल्लत हो सकती है यानी इस फैसले को धरातल पर लाने में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है
अब जाते-जाते इस योजना को और आसान भाषा में समझ लीजिए पिछले साल कैबिनेट की बैठक के बाद केंद्रीय खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल ने बताया था कि सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एक्ट के तहत चावल गेहूं और मोटा अनाज क्रमशः 3 दो प्रति किलो के हिसाब से देती है
सरकार ने फैसला लिया है कि दिसंबर 2023 तक यह पूरी तरह से मुफ्त मिलेगा इससे पहले सितंबर 2022 में सरकार ने इस योजना की समय सीमा को ती महीने के लिए 31 दिसंबर तक बढ़ा दिया था कोविड के समय गरीबों को राहत पहुंचाने के लिए यह योजना लाई गई थी लेकिन इस योजना को समय-समय पर एक्सटेंड कर दिया जा रहा है ब्यूरो रिपोर्ट