2 कहानियां : लोग आपके पीछे पागल हो जाएंगे ! Art Of Learning To Value

2 कहानियां : लोग आपके पीछे पागल हो जाएंगे : पुराने मगध राज्य से सटा एक गांव था जिसमें सुकन्या नाम की एक लड़की रहती थी सुकन्या की जब शादी हुई तो अपनी ससुराल में आकर लोगों की बहुत सेवा करती थी सुकन्या का जो पति था उसका नाम कमल था वह उसे बहुत प्यार करता था इतना प्यार करता था कि सुकन्या को छोड़कर कहीं जाना नहीं चाहता था या यूं कहे कि वह हर पल अपनी आंखों के सामने सुकन्या को ही देखना चाहता था सुकन्या को यह बात बहुत अच्छी लगती थी कि उसका पति उसे बहुत प्यार करता है

धीरे-धीरे समय बीतता गया सब कुछ तो थोड़े दिनों के लिए बहुत ही अच्छा चल रहा था कमल का सुकन्या के प्रति झुकाव बढ़ता ही जा रहा था  उसका अपनी मां के प्रति झुकाव कम होता जा रहा था जब उसकी शादी नहीं हुई थी तो अपनी मां का बहुत ख्याल रखता था कमल की मां को यह सब आभास होने लगा कि उसका बेटा सुकन्या की तरफ ज्यादा झुक रहा है 

अर्थात हर पल वह सुकन्या के बारे में ही सोचता था कमल की मां भी बहुत ही समझदार थी भले ही कमल का अपनी मां के प्रति झुकाव कम होता जा रहा था और अपनी पत्नी के प्रति झुकाव बढ़ता ही जा रहा था लेकिन कमल की मां यह सोचकर बहुत ही खुश हो जाती थी कि चलो कम से कम हुआ तो अपनी पत्नी का तो ध्यान रख रहा है 

दोस्तों इसीलिए कहते हैं मां तो मां होती है उसका दर्जा कोई नहीं ले सकता कितनी भी मुसीबतें क्यों ना आ जाए लेकिन मां हमेशा अपने बच्चों का भला ही चाहती है खुद भूखी रह जाएगी लेकिन उसके बच्चे भूखे ना रहे जब कभी प्राकृतिक आपदा आ जाती थी फसलों की पैदावार अच्छी नहीं होती थी रात को कमल की मां सबको खाना परोस देती लेकिन उसके लिए खाना नहीं बचता था तो वह भूखे पेट सो जाया करती थी वह यह बात किसी को नहीं बताती थी क्योंकि मां आखिर मां होती है 

बचपन में तो वह कमल को अपनी गोदी में बैठाकर उसे दूध पिलाती थी और उसे खाना भी खिलाती थी कमल जब धीरे-धीरे बड़ा हो गया और अब तो उसकी शादी भी हो गई तो वह यह सब भूल गया अब तो उसके मन में बस एक ही इच्छा रहती कि सुकन्या अर्थात उसकी पत्नी उसे छोड़कर कहीं जाए ना उसकी आंखों से कहीं ओझल ना हो जाए जब भी सुकन्या कोई काम करने जाती तो वह भी उसके पीछे पीछे हो लेता सुकन्या कोई भी काम करती कहीं भी जाती कमल उसके पीछे पीछे हो लेता था सुकन्या को किसी भी चीज की जरूरत होती तो अपने पति से कह देती थी तो उसका पति उस चीज को तुरंत लाकर उसे दे देता था उसका पति उसकी हर एक इच्छा की पूर्ति करता था अपनी पत्नी के ख्याल में कमल कोई कमी नहीं छोड़ता था पत्नी कहीं जाती तो वह भी उसके पीछे-पीछे हो लेता था क्योंकि वह उसे अपनी आंखों से ओझल नहीं होने देना चाहता था उसकी पत्नी खेतों में काम करने के लिए अगर बाहर भी जाती तो कमल को यह बर्दाश्त नहीं हो पाता था वह भी उसके पीछे-पीछे ही हो लेता था कुछ समय के लिए भी वह अपनी पत्नी को अकेले नहीं छोड़ना चाहता था 

धीरे-धीरे समय बीतने लगा उसकी यह आदत सुकन्या को बुरी लगने लगी सुकन्या कुछ देर अकेले में समय बिताना चाहती थी लेकिन उसका पति उसे अकेले में कभी नहीं छोड़ता था सुकन्या जब भी सोचती चलो थोड़ा समय खुद के साथ अकेले में बिता ले तो उसका पति वहां पहुंच जाता था सुकन्या अगर पास पड़ोस की औरतों से बात भी करती तो उसका पति वहां पहुंच जाता था यह बात सुकन्या को अच्छी नहीं लगती थी शादी हुए कुछ ही दिन बीते थे इसलिए सुकन्या कुछ कहना नहीं चाहती थी 

लेकिन समय के साथ-साथ यह चीजें और भी ज्यादा बढ़ती गई कमल अपनी पत्नी को एक पल के लिए भी अकेला नहीं छोड़ना चाहता था एक दिन सुकन्या ने अपने पति कमल से कहा हर पल आप मेरे ही पीछे क्यों पड़े रहते हैं ऐसा लग रहा है मैं कहीं चली जाऊंगी क्यों आप हर पल मेरा ही पीछा करते रहते हैं यह बात कमल को बहुत बुरी लगी उसे बहुत दुख हुआ कि जिस पत्नी को वह बहुत ज्यादा प्यार करता है वह अपनी आंखों से एक बार भी उसे ओझल नहीं होने देना चाहता है वह पत्नी उसे ऐसा बोल गई कमल यह बात किसी को नहीं बताया वह अपने अंदर इस बात को लिए ही रहा धीरे-धीरे उसका मन दुखी होने लगा 

उसके मन में एक ही बात बार-बार सताती रहती बार-बार उसे यह बात दुख देती रहती कि जिस पत्नी को वह इतना प्रेम करता है उसने उसके साथ ऐसा किया उसने उसे ऐसा बोल दिया वह यह बात अपने अंदर लिए घुटता रहा उसने यह बात किसी को भी नहीं बताई कमल ने सोचा कि हो सकता है कि उसने आज ऐसा कहा लेकिन आने वाले समय में वह सही हो जाएगी जैसे-तैसे वह खुद को समझा बुझाकर शांत किया लेकिन कुछ दिनों बाद फिर उसे लगने लगा कि उसकी पत्नी उसे प्रेम नहीं करती वह उससे दूर जाना चाहती है कमल सोचने लगा कि मैं जितना उसके पास जाता हूं वह मुझसे उतना ही दूर भागने की कोशिश कर रही है 

धीरे-धीरे उसका मन उदास होने लगा एक दिन ऐसे ही वह घर के तखत पर बैठा था उसका मन उदास था वह अपने दुख को अंदर ही अंदर छुपाकर बैठा था उसकी मां ने जब कमल को देखा तो पहचान गई कि कुछ ना कुछ बात तो है जो कमल को बहुत ही दुख दे रही है क्योंकि वह बहुत ही शांत और उदास बैठा था और वैसे भी मां अपने बच्चों का दुख दर्द तो समझी जाती है भले ही वह कितना भी बड़ा क्यों ना हो गया हो 

क्योंकि मां ही बचपन से पाल पोस करर उसे बड़ा करती है कमल की मां जब कमल से पूछती है कि क्या बात है बेटा तुम इतने निराश क्यों हो तुम इतने उदास क्यों दिखाई पड़ रहे हो मां के पूछने पर कमल ने कहा कि कोई बात नहीं है मां मैं बिल्कुल ठीक हूं कमल अब बदल सा गया था पहले वह अपनी मां को हर एक बात बताता था लेकिन शादी के बाद सुकन्या के प्रति उसका लगाव इतना भर गया कि वह अपनी मां को एक बात भी नहीं बताता था क्योंकि उसके दिमाग में अब हर समय सुकन्या का ही ख्याल आ रहा था इसलिए उसने नामी सर हिलाकर अपने खेतों की तरफ निकल पड़ा जब वह घर से बाहर अपने खेतों के लिए निकल पड़ा  

तो रास्ते में उसे उसका दोस्त मिल गया जिसके साथ बैठकर बातें किया करता है सब लोग अपनी बातें एक दूसरे को बताने लगे कमल ने भी अपनी बातें अपनी दोस्त को बताई उसने अपने दोस्त से कहा कि मित्र मेरा पारिवारिक जीवन बहुत ही अच्छा नहीं चल रहा है वैसे देखने में तो सब कुछ सही है लेकिन मेरी पत्नी का लगाव मेरे से कम होता जा रहा है और मेरा लगाव उसके प्रति इतना ज्यादा बढ़ गया है कि मुझे कुछ अच्छा ही नहीं लगता अगर वह थोड़ी देर के लिए मेरी आंखों से ओझल भी हो जाती है तो मुझे बहुत बेचैनी होने लगती है उसका मित्र पहले तो कमल को खूब समझाता है 

लेकिन जब उसे लगा कि कमल नहीं समझेगा तब वह उसे एक बौद्ध महात्मा का नाम बताता है वह कहता है कि वह बहुत बड़े ज्ञानी और वह उसे एक बौद्ध महात्मा का नाम बताता है वह कहता है कि वह बहुत बड़े ज्ञानी और महान आत्मा है तुम उनके पास अपनी समस्या लेकर जाओ क्योंकि जो तुम्हारे साथ हुआ है वह हमारे साथ भी हो चुका है तुम उनके पास जाओगे तो वे तुम्हारी सारी समस्याओं का निराकरण कर देंगे उसके मित्र ने कहा तुम और किसी के पास मत जाना क्योंकि जादू टोना से सब तुम्हें भ्रमित कर देंगे सब तुमसे बोलेंगे कि आज यह काम कर लो आज वह काम कर लो प्रेम की देवी प्रसन्न हो जाएंगी 

लेकिन ऐसा कुछ कुछ भी मत करना क्योंकि मैं यह सब भोग चुका हूं मैंने कई बाबाओं के चक्कर लगाए थे पर कोई फायदा नहीं हुआ इनमें मेरा पैसा भी बर्बाद चला गया पर कहीं से कोई समाधान मिल ही नहीं पाया तुम उन महात्मा के पास जाओ और अपनी समस्या बताओ वह तुम्हारी हर समस्या का सही समाधान बताएंगे कमल रात को जैसे तैसे सो जाता है और भोर में ही उठकर वह उन बौद्ध महात्मा से मिलने के लिए निकल पड़ता है कुछ मील की यात्रा के बाद वह उन बौद्ध महात्मा के आश्रम में पहुंच जाता 

बुद्ध महात्मा अपने शिष्यों को उपदेश की बातें सिखा रहे थे कमल भी वहीं बैठकर महात्मा की बातें सुनने लगा जब महात्मा बच्चों को देश की बातें सिखा देते हैं सभी बच्चे आश्रम के कामों में लग जाते हैं खाली मौका देखकर कमल उन महात्मा के पास पहुंच जाता है वह उन्हें प्रणाम करता और कहता है हे महात्मा हमने आपकी बात को बहुत ही ध्यान से सुना है हमें महसूस होने लगा है कि आप हमारी सारी समस्याओं का निराकरण कर देंगे 

उसने महात्मा से कहा महा मा मैं अपने जीवन से बहुत ही ज्यादा परेशान हूं मैं बहुत ही दुखी हूं मेरा दुख ऐसा है कि मेरा तो यह दुख किसी को बता सकता हूं और ना ही अपने अंदर इस दुख को रख सकता हूं यह दुख मुझे अंदर ही अंदर खाता जा रहा है मेरी पत्नी का लगाव मेरे प्रति कम होता जा रहा है वह मुझसे दूर भागना चाह रही है कमल ने कहा कि हमने अपनी पत्नी को इतना प्रेम किया कि जिस भी चीज की उसे जरूरत पड़ती वह मैं उसे लाकर दे देता हूं एक बार कह देती तो मैं तुरंत लाकर उस चीज को उसके हाथों में रख देता हूं उसकी हर एक इच्छा को पूरी करता हूं मैं थोड़ी देर के लिए भी अपनी पत्नी को अपनी आंखों से ओझल नहीं होने देना चाहता हूं क्योंकि मैं उससे बहुत प्रेम करता हूं मैं उसका बहुत ख्याल रखता हूं लेकिन मैं जितना उसको प्रेम करता हूं वह मुझसे उतना ही दूर भागती जा रही है 

कमल ने कहा हे महात्मा एक दिन तो क्या हुआ कि उसने यहां तक कह दिया कि तुम मेरे पीछे क्यों पड़े रहते हो कुछ पल के लिए तो मुझे अकेला छोड़ दिया करो यह बात मुझे बहुत बुरी लग गई इस दुख को मैं किसी को बता नहीं सकता कमल ने जैसे ही यह बात महात्मा को बताई उसकी आवाज बैठ गई उसका गला भारी भारी सा हो गया क्योंकि उसका दुख ना तो निकल रहा था और ना ही उसका कोई समाधान मिल पा रहा था महात्मा ने उसकी बात को बड़े ही ध्यान से सुना और कहा कमल चलो मेरी कुटिया के पास वहीं बैठकर मैं तुम्हारी सारी समस्याओं का समाधान बताऊंगा कमल को लगा कि महात्मा कुछ जादू टोना करने वाले हैं महात्मा अपनी कुटिया पर पहुंच जाते हैं

कमल को बैठने के लिए बोलते हैं और कहते हैं कमल मेरी बात को बड़े ध्यान से सुनना 

एक गांव में दो पड़ोसी थे दोनों माली थे फूलों की खेती करना उनका धंधा था दोनों के पास अपने-अपने बागान थे और उनमें तरह-तरह के फलों के पौधे उगाते थे यही बगान उनकी जीविका के साधन थे जिनमें से एक पड़ोसी बहुत सख्त था और अपने पौधों की जरूरत से ज्यादा देखभाल रखता था उसे लगता था कि पौधों की अगर ठीक से देखभाल नहीं की गई तो वे नष्ट हो जाएंगे 

लेकिन दूसरा पड़ोसी पौधों को प्राकृतिक रूप से विकसित होने देने पर विश्वास करता था वह पौधे की उतनी ही देखभाल करता था जितने की उन्हें आवश्यकता थी लेकिन अपने पौधे के तने और टहनियों को काट छाट ना करके अपनी मनमर्जी दिशा में बढ़ने देता था इससे वे स्वाभाविक रूप से विकसित होते थे एक शाम बहुत भीषण तूफान आया जिसमें भारी बारिश हुई तूफान ने कई पौधों को नष्ट कर दिया 

अगली सुबह जब सख्त पड़ोसी उठा तो उसने पाया कि उसके सारे पौधे उखड़ गए और बर्बाद हो गए वहीं जब दूसरा पड़ोसी उठा तो उसने पाया कि उसके पौधे अभी भी मिट्टी में मजबूती से लगे हुए हैं इतने तूफान के बावजूद 

दूसरे पड़ोसी के पौधे जो बहुत ज्यादा पौधे की कटाई छटाई नहीं करता था उन्हें प्राकृतिक रूप से विकसित होने देना चाहता था उसने देखा कि वे पौधे खुद ही चीजों का प्रबंध करना सीख गए थे इसलिए पौधों ने अपना काम बड़ी आसानी से किया गहरी जड़ें उगाई और मिट्टी में अपनी जगह बना ली इस प्रकार यह तूफान में भी मजबूती के साथ खड़ा रहा जबकि उस सख्त पड़ोसी ने अपने पौधों का जरूरत से ज्यादा ख्याल रखा था

 लेकिन शायद वह सीखना भूल गया कि बुरे समय में खुद का ख्याल कैसे रखते हैं महात्मा पास एक मुट्ठी बालू लेते हैं और कमलनाथ को देते हैं और कहते हैं कि कमलनाथ तुम्हें बालू अपनी मुट्ठी में बंद कर लो इस बात का ध्यान रखना कि जितने बालू हम तुम्हें दिए हैं इसे गिरने मत देना मैं थोड़ी देर आश्रम में बच्चों का निरीक्षण करने जा रहा हूं अभी हम आते हैं तब तक के लिए तुम इस बालू को अपनी मुट्ठी में ही ले रहना इसे गिरने मत देना कमल को लगा कि इसे तो हम कर सकते हैं वे महात्मा एक मुट्ठी बालू कमल के हाथों में दे देते हैं 

कमल बालू को अपनी मुट्ठी में ले लेता है जैसे ही कमल ने अपनी मुट्ठी बंद की तो उसकी मुट्ठी से कुछ बालू गिरने लगी तभी उसे ध्यान आया कि गुरुजी ने बोला है कि बालू को गिरने मत देना वह अपनी मुट्ठी को कसने लगा धीरे-धीरे बालू और ज्यादा गिरने लगी उसकी मुट्ठी में से वह जितना ज्यादा मुट्ठी को कसता जाता बालू उसकी मुट्ठी में से उतना ही ज्यादा फिसलता जा रहा था धीरे-धीरे देखते देखते 

उसके हाथों में में से सारी बालू निकल गई कुछ ही बालू उसकी मुट्ठी में बची थी उसे लगा कि यह क्या हो रहा है गुरु ने बोला था कि इस बालू को अपनी मुट्ठी से गिरने मत देना लेकिन मैं जितना इसे पकड़ रहा हूं वह उतना ही ज्यादा फिसलता जा रहा है थोड़ी देर बाद गुरु आते हैं और कमल से पूछते हैं कि कमल जितना बालू मैंने तुमको दिया था अब तुम मुझे दे दो वह हड़बड़ा गया उसने महात्मा से माफी मांगी कमल ने कहा हे महात्मा यह बालू तो सारी मेरी मुट्ठी से गिर गई इस बालू को मैं ना पकड़ कर रख रहा था वह उतना ही ज्यादा फिसलती जा रहा थी और वह उतनी ही जल्दी खाली हो गई मेरी मुट्ठी में से महात्मा मुस्कुराने लगते हैं और कहते हैं 

कमल कुछ समझ में आया तुम्हें कमल को भी कुछ-कुछ आभास होने लगा था 

गुरु कहते हैं कि कमल कभी-कभी जिन चीजों को जितना ही ज्यादा मजबूती के साथ पकड़ा जाता है वह उतना ही ज्यादा हमसे दूर भागने की कोशिश करने लग जाती है रिश्ते बालू की ही तरह होते हैं अगर तुम उन्हें जितना ज्यादा कसकर पकड़ लोगे वह तुमसे उतने ही ज्यादा दूर भागते जाएंगे इसलिए रिश्तों की डोर थोड़ा ढीली रखना तुमने यही गलती की है जिसकी वजह से तुम आज दुख भोग रहे हो तुमनेअपनी पत्नी को कभी भी एक पल के लिए भी अपनी आंखों से दूर नहीं होने दिया जिसकी वजह से वह तुमसे ऊब गई तुमने उसे एक पल भी अकेले में समय बिताने नहीं दिया हर पल तुम उसके पीछे ही भागते रहे जिसकी वजह से वह तुमसे दूर जाने लगी 

महात्मा कहते हैं कि जो व्यक्ति किसी रिश्ते को जितना मजबूत के साथ पकड़ने की कोशिश करेगा 

उसके हाथ से वह रिश्ता उतना ही ज्यादा फिसलता जाएगा इसलिए रिश्तों की डोर को थोड़ा ढीली रखना महात्मा ने कहा कि आजकल यही हो रहा है कि अगर तुम अपने बच्चों को बहुत ज्यादा बांध कर रखोगे उसे आजादी नहीं दोगे तो तुमसे उतने ही ज्यादा दूर भागते जाएंगे हर एक माता-पिता अपने बच्चों के साथ यही गलती कर बैठते हैं वे अपने बच्चों को आजादी ही नहीं देते तो उनका दिमाग कैसे विकसित होगा वह तो हर पल अपने माता-पिता से दूर भाग भागने की कोशिश करेगा 

इसीलिए किसी भी रिश्ते को आजादी दो अगर वह तुम्हारा है तो तुम्हारे पास ही रहेगा अगर तुम्हारा नहीं है तो वह तुमसे दूर भाग जाएगा इसमें तुम्हारा कोई घाटा नहीं है क्योंकि जो तुम्हारा है लाखों मील की यात्रा के बाद भी तुम्हारे पास आ जाएगा लेकिन जो तुम्हारा नहीं है पास रहकर भी तुमसे दूर हो जाएगा बहुत से लोग यही गलती कर देते हैं वह जरूरत से ज्यादा किसी का ख्याल करने लगते हैं तो सामने वाले को भी लगता है कि इंसान तो हमारे पीछे ही पड़ा है आप कितना भी उसकी फिक्र क्यों ना करें वह आपकी कीमत को कभी नहीं समझेगा क्योंकि उसकी आजादी छिन रही है उसे लग रहा है कि आप उसे बांध रखे हैं और जब रिश्ते बांधे हुए लगने लगते हैं तो उनमें से एक भागने की कोशिश करता है तुम जितना ज्यादा उसे बांधने की कोशिश करोगे वह तुमसे उतना ही ज्यादा दूर भागता जाएगा 

ठीक उस बालू की तरह तुमने उस बालू को जितना मजबूती के साथ अपनी मुट्ठी में पकड़ा वह तुम्हारी मुट्ठी से उतना ही ज्यादा फिसलता गया और देखते ही देखते सारी बालू तुम्हारी मुट्ठी से निकल गई 

तो वह कभी जल्दी फिसलती नहीं अगर तुम उस बालू को हल्की मुट्ठी से पकड़ कर रखते तो वह कभी फिसलती नहीं और अगर फिसलती भी तो इतना नहीं फिसलती कि पूरी मुट्ठी खाली हो जाए तुमने उन दोनों माली की कहानी को तो सुना ही होगा जो मैंने अभी थोड़ी देर पहले तुम्हें सुनाया उनमें एक माली अपने पेड़ों की बहुत ज्यादा सेवा करने लगा उसकी वजह से पेड़ों की कटाई छटाई ज्यादा करने लगा और तूफान आया तो उसका पेड़ उखड़ गया क्योंकि वह जमीन में अपनी मजबूती नहीं बना पाया 

वैसे दूसरा माली जो पेड़ों की कम कटाई छटाई किया उसे प्राकृतिक रूप से विकसित होने दिया जिससे पौधों की जड़ें जमीन में बहुत ज्यादा मजबूती के साथ पकड़ ली और अंदर तक चली गई जिससे कि तूफान आने से उसका पेड़ नहीं खड़ा कमल ठीक उसी प्रकार यह रिश्ते होते हैं उन्हें तुम जितना मजबूती के साथ पकड़ने का प्रयास करोगे वह तुमसे उतने ही ज्यादा फिसलते जाएंगे 

इसलिए हर एक रिश्ते को मुक्त रखो उसे पूरी आजाद द दो अगर तुम्हारे हैं तो तुम्हारे पास ही रहेंगे जरूरत से ज्यादा तुम किसी का ख्याल रखोगे तो वे आज नहीं कल तुमसे दूर भाग ही जाएंगे गुरु ने कहा कमल यह बातें सिर्फ तुम पर ही लागू नहीं होती यह बात सभी पर लागू होती है इसलिए अत्यधिक ख्याल रखना भी कभी-कभी घातक सिद्ध हो सकता है अगर तुम अपनी पत्नी को प्रेम करते हो तो उसे आजादी दो तुम अपनी मां को देख लो वह तुमसे बहुत प्रेम करती है वह तुम्हारा बहुत ख्याल रखती है और तुम रा अपनी पत्नी के प्रति इतना झुकाव हो गया कि तुम अपनी मां को ही भूल गए 

लेकिन फिर भी तुम्हारी मां तुमसे एक बार भी नहीं बोली जब तुम्हें दुख हो सकता है तो क्या तुम्हारी माता को नहीं हो सकता आखिर उन्हें भी तो लगा होगा कि मेरे बेटा अब मेरे से बातें कम करता है पत्नी के प्रति उसका झुकाव ज्यादा हो गया है लेकिन वह तुम्हें पूरी आजादी दी ताकि तुम सुधर जाओ खुश हो जाओ तुम अपनी मां से सीखो महात्मा कहते हैं कि कमल आज से ही तुम अपनी पत्नी को पूरी आजादी दो महात्मा ने कहा जो अपने रिश्तों को पूरी आजादी देता है उसका रिश्ता मजबूती के साथ टिका रहता है रिश्तों की कहानी बड़ी उल्टी होती है तुम ढीला रखोगे तो उनकी डोर मजबूत रहेगी अगर तुम उन्हें बहुत कस के पकड़े गए तो डोर टूट जाएगी 

इसलिए आज से ही तुम अपनी पत्नी को पूरी आजादी दो जहां जा रहे उसे जाने दो वह जो भी काम कर रहे उसे करने दो तुम हमेशा उसके पीछे मत भागो जब उसे एहसास हो जाएगा कि उसका पति भी है तो वह खुद तुम्हारे पास आ जाएगी लेकिन तुम उसे अपने पति होने का एहसास नहीं होने देना चाहते हो उसके दिमाग में एक पल के लिए भी तुम यह ख्याल नहीं आने देते कि उसका पति कैसा होगा किस हालत में होगा उसे एहसास होने दो जो उसे एहसास हो जाएगा तो वह खुद तुम्हारे पास आएगी और तुमको बहुत प्रेम करेगी 

इसलिए आज से ही तुम अपने रिश्ते को ढीला करो अपने रिश्तों को पूरी आजादी दो महात्मा कहते हैं कि कमल फिर तुम मेरी इन बातों को समझ जाओगे तो तुम इस पारिवारिक जीवन में कभी दुखी नहीं रहोगे महात्मा कहते हैं कि अब मेरा यहां से चलने का वक्त हो गया है मेरे से से मेरा इंतजार कर रहे हैं मुझे उन्हें अद्भुत ज्ञान की शिक्षा देनी है कमल महात्मा को प्रणाम करके अपने घर वापस आ जाता है उसको वह सब बातें याद थी 

जो महात्मा ने उसे सिखाई थी धीरे-धीरे वह उन बातों को अपने जीवन में उतारने लगा और उन पर अमल भी करने लगा धीरे-धीरे उसकी जिंदगी में परिवर्तन देखने को मिला अब वह पत्नी अर्थात सुकन्या उससे प्रेम करने लगी वह भी अपने पति का ध्यान रखने लगी वह प्रतिदिन गुरु का मन ही मन बहुत आभार व्यक्त करता था दोस्तों आज की पोस्ट में बस इतना ही मुझे उम्मीद है आज की पोस्ट से आपको बहुत कुछ सीखने को मिला होगा  

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