मन का मंत्र | जो चाहोगे💵वही मिलेगा :– गौतम बुद्ध उस लड़के को यह सिख देना चाहते थे कि **जो इंसान अपने मन में खुद के बारे में विचार करता है, वह व्यक्ति उसी के समान बनता जाता है**। किसी इंसान को अगर दुनिया की किसी भी चीज से **सच्चे मन से लगाव** हो, तो वह इंसान **उस चीज को प्राप्त कर ही लेता है**। वही जो इंसान अपनी मनचाही चीज को प्राप्त करने में असफल है, उस इंसान ने अपने मन में **सच्चे भाव से उस चीज को चाहा ही नहीं होता**।
गौतम बुद्ध | law of attraction buddhist story
अपने मन में जिस चीज का विचार करोगे वही चीज तुम्हें मिलना शुरू होगी अगर पैसे के बारे में विचार करते हो तो आपके पास पैसा आना शुरू होगा अगर आप अपने प्यार के बारे में विचार करोगे तो आपको आपका प्यार जल्द ही मिलेगा गौतम बुद्ध के अनुसार हम वही बनते हैं जो हम सोचते हैं जिस तरह कोई व्यक्ति बुरी सोच के साथ बोलता या काम करता है तो उसे कष्ट ही मिलता है वही यदि कोई व्यक्ति शुद्ध विचारों के साथ बोलता या काम करता है तो उसकी परछाई की तरह खुशी उसका साथ कभी नहीं छोड़ती है
वही गौतम बुद्ध की यह कहानी जो आज हम आपको बताने जा रहे हैं इसे सुनने के बाद आप जीवन की सभी समस्याओं को छुट कियों में हल करने में सक्षम रहेंगे दोस्तों एक बार की बात है महात्मा बुद्ध प्रवचन दे रहे थे प्रवचन में आसपास के बहुत से लोग शामिल थे सभी लोग ध्यान से बुद्ध को सुन रहे थे कुछ देर में प्रवचन समाप्त हो गया तब लोगों ने बुद्ध को प्रणाम किया और अपने अपने घर को चल पड़े पर एक य युवक वहां पर ही बैठा रह गया
बुद्ध की नजर उस युवक पर पड़ी तो वे पूछ बैठे क्या बात है वत्स कोई जिज्ञासा है क्या युवक बुद्ध के पास गया और प्रणाम करके बोला प्रभु बहुत उलझन में हूं जितना इस बारे में सोचता हूं उतना ही उलझ जाता हूं कैसी उलझन है वत्स बुद्ध ने प्रश्न किया युवक हाथ जोड़कर बोला प्रभु यह संसार कितना विशाल है संसार में लाखों करोड़ों लोग निवास करते हैं उनमें भी एक से बढ़कर एक विद्वान कलाकार योद्धा ऐसे में उन सबके बीच मुझ जैसे सामान्य प्राणी का क्या मूल्य है युवक की बात सुनकर बुद्ध मुस्कुरा दिए वे बोले तुम्हारी जिज्ञासा का उत्तर मिल जाएगा पर इसमें थोड़ा सा समय लगेगा
क्या तब तक मेरा एक छोटा सा काम कर सकते हो प्रभु यह तो मेरे लिए गर्व का विषय है कि मैं आपके काम आ सकूं युवक ने पुनः अपने हाथ जोड़ दिए और कहा आप आदेश करें प्रभु बुद्ध ने युवक को एक चमकीला पत्थर देते हुए कहा तुम्हें इस पत्थर का मूल्य पता करना है पर ध्यान रहे इसे बेचना नहीं है सिर्फ इसका मूल्य पता करना है जैसी आज्ञा प्रभु ऐसा कहते हुए
युवक ने बुद्ध से वह पत्थर ले लिया उसने एक बार फिर से उन्हें प्रणाम किया और बाजार की ओर चल पड़ा बाजार वहां से ज्यादा दूर नहीं था युवक थोड़ी देर में वहां पहुंच गया वह सुबह का समय था इसलिए बाजार अभी ठीक से लगा नहीं था वहां पर इक्का दुक्का दुकानदार ही थे युवक ने जिज्ञासा वश इधर-उधर नजर ई उसे एक पेड़ के नीचे एक दुकानदार नजर आया वह आम बेच रहा था
युवक उस दुकानदार के पास पहुंचा और उसे पत्थर दिखाते हुए बोला क्या आप इस पत्थर की कीमत बता सकते हैं दुकानदार एक चालाक व्यक्ति था पत्थर की चमक देखकर वह समझ गया कि अवश्य ही यह कोई कीमती पत्थर है वह बनावटी आवाज में बोला देखने में तो कुछ खास नहीं लगता पर मैं इसके बदले 10 आम दे सकता हूं दुकानदार की बात सुनकर युवक को हल्का सा क्रोध आ गया वह मन ही मन बुदायर समझता है इतना सुंदर पत्थर और इसका मूल्य सिर्फ 10 आम अवश्य ही यह झूठ बोल रहा है युवक को चुप देखकर दुकानदार बोल उठा क्या कहते हो निकालू आम पर युवक ने दुकानदार को कोई जवाब नहीं दिया वह चुपचाप आगे बढ़ गया सामने एक सब्जी वाला अपनी दुकान सजा रहा था
युवक उसके पास पहुंचा और उसे पत्थर दिखाते हुए उसका मूल्य पूछा उस पत्थर को देखकर सब्जी वाले की आंखें खुशी से चमक उठी वह मन ही मन सोचने लगा यह पत्थर तो बहुत कीमती जान पड़ता है अगर यह मुझे मिल जाए तो मजा ही आ जाए क्या हुआ भाई कहां खो गए युवक ने दुकानदार की तंद्रा तोड़ी सब्जी वाला चौंकता हुआ बोला कुछ नहीं कुछ नहीं मैं तो बस मन ही मन इसकी कीमत की गणना कर रहा था वैसे मैं इस पत्थर के बदले एक बोरी आलू दे सकता हूं सब्जी वाले के चेहरे की कुटिलता देखकर युवक समझ गया कि यह दुकानदार भी मुझे मूर्ख बना रहा है मुझे किसी और से इसका मूल्य पता करना चाहिए यह सोचता हुआ
युवक आगे बढ़ गया सब्जी वाले दुकानदार ने युवक को पीछे से आवाज लगाई क्या हुआ भाई अगर आपको यह मूल्य कम लग रहा है तो बताएं तो सही मैं इसे बढ़ा दूंगा पर युवक ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया वह अब इधर-उधर किसी ऐसे व्यक्ति को खोजने लगा जो जानकार हो और उस पत्थर की सही मूल्य बता सके
युवक को लग रहा था कि अवश्य ही यह कोई कीमती पत्थर है शायद कोई जोहरी इसका सही मूल्य बता स यह सोचता हुआ युवक एक जोहरी की दुकान पर पहुंचा जोहरी अपनी दुकान को अभी खोल ही रहा था उसने युवक को अपनी दुकान की ओर आते हुए दूर से देख लिया था साथ ही उसने युवक का हुलिया देखकर यह भी भांप लिया था कि यह कोई गरीब व्यक्ति है जो संभवत कोई गहना बेचने आया होगा जोहरी ने हाथ जोड़कर युवक को नमस्कार किया और मुस्कुरा करर पूछा बताए महोदय मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूं
युवक ने बुद्ध का दिया पत्थर अपनी हथेली पर रख दिया और और बोला इसका मूल्य पता करना था
पत्थर को देखते ही जोहरी उसे पहचान गया कि यह बेशकीमती रूबी पत्थर है जो किस्मत वाले को मिलता है वह बोला पत्थर मुझे दे दो और मुझसे एक लाख रुपए ले लो कहते हुए जोहरी ने पत्थर लेने के लिए अपना दाहिना हाथ बढ़ाया पर तब तक युवक ने पत्थर को अपनी मुट्ठी में बंद कर लिया था उसे पत्थर के मूल्य का अंदाजा हो गया था इसलिए वह बुद्ध के पास जाने के लिए मुड़ गया जोहरी ने उसे पीछे से आवाज लगाई अरे रुको तो भाई मैं इसके 50 लाख दे सकता हूं
लेकिन युवक को वह पत्थर बेचना तो था नहीं इसलिए वह रुका नहीं और दुकान के बाहर आ गया पर जोहरी भी कम चालाक नहीं था वह उस अनमोल पत्थर को किसी भी कीमत पर अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहता था वह दौड़कर उसके आगे आ गया और हाथ जोड़कर बोला तुम यह पत्थर मुझे दे दो मैं इसके बदले एक करोड़ देने को तैयार हूं युवक को जोहरी की बातों में अब कोई रूचि नहीं रह गई थी वह जल्द से जल्द बुद्ध के पास पहुंच जाना चाहता था
इसलिए ना तो वह रुका और ना ही उसने जोहरी की बात का कोई जवाब दिया वह तेज तेज कदमों से बुद्ध के आश्रम की ओर चल पड़ा जोहरी ने पीछे से आवाज लगाई यह अत्यंत मूल्यवान पत्थर है अनमोल है तुम जितने पैसे कहोगे मैं दे दूंगा यह सुनकर वह युवक परेशान हो गया उसे लगा कि कहीं पत्थर के लालच में जोहरी उसे पकड़कर जबरदस्ती ना करने लगे इसलिए वह तेजी से आश्रम की ओर दौड़ पड़ा युवक जब बुद्ध के पास पहुंचा तो वह बुरी तरह से हाफ रहा था उसे देखकर बुद्ध मुस्कुरा दिए फिर भी उन्होंने अपने चेहरे से कुछ भी जाहिर नहीं होने दिया वे बोले क्या बात है वत्स तुम कुछ डरे हुए से लग रहे हो
युवक ने बुद्ध को प्रणाम किया और सारी बात कह सुनाई साथ ही उसने वह पत्थर भी उन्हें वापस कर दिया बुद्ध बोले आम वाले ने इसका मूल्य 10 आम बताया आलू वाले ने एक बोरी आलू और जहरी ने बताया कि यह अनमोल है इस पत्थर के गुण जिसने जितने समझे उसने इसका मूल्य उसी हिसाब से लगाया ऐसे ही यह जीवन है प्रत्येक व्यक्ति खान से निकले हुए एक हीरे के समान है जिसे अभी तराशा नहीं गया है जैसे-जैसे समय की धार व्यक्ति को तराश की जाती है व्यक्ति की कीमत बढ़ती जाती है यह दुनिया व्यक्ति को जितना पहचान पाती है उसे उतनी ही महत्ता देती है कहते हुए बुद्ध एक क्षण के लिए रुके फिर बोले किंतु आदमी और हीरे में अंतर यह है हीरे को कोई दूसरा तराश होता है और व्यक्ति को अपने आप को स्वयं ही तराशना पड़ता है और जिस दिन तुम अपने आप को तराश लोगे तुम्हें भी तुम्हारा मूल्य बताने वाला कोई ना कोई जोहरी मिल ही जाएगा
गौतम बुद्ध उस लड़के को यह सिख देना चाहते थे कि जो इंसान अपने मन में खुद के बारे में विचार करता है वह व्यक्ति उसी के समान बनता जाता है किसी इंसान को अगर दुनिया की किसी भी चीज से सच्चे मन से लगाव हो तो वह इंसान उस चीज को प्राप्त कर लेता है वही जो इंसान अपनी मन छाई चीज को प्राप्त करने में असर्त है उस इंसान ने अपने मन में सच्चे भाव से उस चीज को चाहा नहीं होता है
वही दोस्तों गौतम बुद्ध की इस प्रेरणादायक कहानी को आप अपने मित्रों के साथ शेयर जरूर कीजिए ताकि उन्हें भी गौतम बुद्ध के असल ज्ञान के बारे में पता चल सके और कमेंट बॉक्स में नमो बुधाय लिखना ना भूले नमो बुधाय
दोस्तों, **गौतम बुद्ध की इस प्रेरणादायक कहानी को अपने मित्रों के साथ जरूर शेयर करें** ताकि उन्हें भी बुद्ध के **अमूल्य ज्ञान** का एहसास हो सके। और हां, **कमेंट बॉक्स में “नमो बुधाय” लिखना न भूलें**। **नमो बुधाय**!