१११ सांसो का रहस्य जिसे सब ढूंढ रहे हैं ? विज्ञान भैरव तंत्र | Law of Attraction

111 सांसों का रहस्य दोस्तों आदिनाथ शिव ने अपने ग्रंथों में लगभग एक करोड़ ध्यान विधियों के बारे में बताया है लेकिन उनके द्वारा बताई गई यह सब ध्यान विधियों का केवल एक ही लक्ष्य है और वह लक्ष्य है समाधि प्राप्त करना 

इतना ही नहीं उनकी यह ध्यान विधियां आपके हर लक्ष्य को प्राप्त करने में भी सहायक होती हैं क्योंकि उनके द्वारा बताई गई सभी ध्यान विधियां आपके मन को एकाग्र श और चिंतित होने से बचाती हैं जिससे आप अपने जॉब पर और भी बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं 

दुनिया में चल रही तमाम चीजों पर अपने विचार रख सकते हैं परंतु किसी भी विचार विमर्श के लिए आपके मन की स्थिति और आपके सांसों की गति स्थिर करनी होगी बिना सांसों की स्थिरता के जीवन में किसी भी ध्यान विधि से आप स्वयं को नहीं जान सकते और ना ही समाधि तक पहुंच सकते हैं 

आपने बहुत से लोगों से या बहुत से ग्रंथों में सुना और पढ़ा होगा कि भगवान ब्रह्मा का जन्म विष्णु की नाभि से हुआ था इसलिए नाभि को पाताल लोक कहा जाता है अगर आप ध्यान दें तो आज भी लोगों का जन्म नाभि से ही होता है

 इसीलिए हर व्यक्ति के जीवन में नाभि का बहुत ही महत्व है एक शिशु अपने मां के गर्भ में उसी नाभि के द्वारा ही फलता फूलता है और सभी जरूरी पोषक तत्त्वों को ग्रहण करता है बिना नाभि को साधे कोई भी साधक अपने जीवन को उस परम सत्य की ओर नहीं धकेल सकता क्योंकि नाभिक की गति स्थिर होने के बाद ही व्यक्ति का यह स्थूल शरीर स्थिर हो पाता है इसीलिए यदि आज तक आपने बहुत सी ध्यान विधियां करी हैं परंतु उससे आपको कोई भी फायदा नहीं मिला है तो यह  पोस्ट आज आपके लिए ही है 

आप इस कांसेप्ट को समझकर जीवन में वह सब कुछ कर सकते हैं जो आप करना चाहते हैं यदि आप इस मेथड का प्रयोग करते हैं अर्थात इस मेडिटेशन टेक्निक को जानते हैं तो इसका प्रभाव आपके जीवन में 48 से 72 घंटे के भीतर दिखना प्रारंभ हो जाएगा इसलिए इस मेथड इस मेडिटेशन टेक्निक को सीखकर आप जो भी बनना चाहते हैं बड़ी आसानी से बन सकते हैं 

इस मेडिटेशन टेक्निक अर्थात इस मेथड को विज्ञान भैरव तंत्र से लिया गया है तो दोस्तों आइए  पोस्ट को शुरू करते हैं जैसे कि आप जानते हैं कि ध्यान की अनंत विधियां हैं अब कौन सी विधि आपको सूट करती है इसका चुनाव आपको ही करना है तो आज का यह ध्यान आपके नाभी से संबंध रखता है यदि कहें तो नाभी शरीर का प्रथम दिमाग होता है जो प्राण वायु से संचालित होता है और इसीलिए हमारा यह सूक्ष्म शरीर नाभी ऊर्जा के केंद्र से जुड़ा रहता है 

इसीलिए कुछ लोग इसे विष्णु चक्र भी कहते हैं और इसलिए यह विष्णु जीवन के पालनहार भी कहलाते हैं क्योंकि बिना इस नाभि के जीवन की कल्पना करना असंभव है आप देखेंगे कि बड़े से बड़े साधक जिन्होंने जीवन में बहुत कुछ पाया है वे आपने नाभि पर ही ध्यान लगाते थे 

इसलिए इस नाभी क्रिया को समझने के लिए सबसे पहले आपको नाभि को समझना होगा और तभी आप अपनी नाभि पर ध्यान लगा सकते हैं आपको ध्यान के हर उस कारण को जानना होगा कि कहां पर ध्यान लगाकर आपको क्या मिलता है 

दोस्तों आप तो यह जानते ही हैं कि आपकी सांसों में आप के जीवन के हर पल को बदलने की शक्ति है यदि आप ध्यान दें कि जो व्यक्ति गहरी सांस लेते हैं डीप ब्रीथिंग करते हैं उन लोगों का ध्यान बहुत जल्दी घट जाता है वे ध्यान की मुद्रा में कई घंटों बैठे रह सकते हैं उन लोगों की ऊर्जा और आभामंडल खिला हुआ रहता है खुश रहते हैं इसीलिए डीप ब्रीथिंग करने वाले व्यक्ति अधिक ऊर्जावान होते हैं और इसीलिए डीप ब्रीथिंग या डीप मेडिटेशन से जो भी ऊर्जा मिलती है वह ऊर्जा आपके जीवन में आने वाली समस्याओं और वे सभी कार्य जो आप पूर्ण करना चाहते हैं उन्हें बड़ी आसानी से पूर्ण कर सकती है 

क्योंकि डीप ब्रीथिंग और डीप मेडिटेशन आपकी मन स्थिति को मजबूत बनाते हैं और आपकी कल्पना शक्ति को साकार करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका भी निभाते हैं यहां तक कि य गहरी स्वास आपके जीवन को पूरी तरह बदलने की क्षमता रखते हैं 

यदि आप देखें कि आपका आज्ञा चक्र और आपकी स्वास साथ साधारण तौर पर दिखाई नहीं देती परंतु यह जितनी सूक्ष्म है उतनी ही ज्यादा कारगर और शक्तिशाली हैं जब आपके आज्ञा चक्र पर ऊर्जा मंडराती है तो व्यक्ति के भीतर आध्यात्म प्रगण रूप में विद्यमान होता है और आध्यात्म वह शक्तिशाली और सूक्ष्म शक्ति है जिसे साधारण तौर पर देखा नहीं जा सकता केवल उसे महसूस कर जीवन में उतारा जा सकता है आप अपनी इस आध्यात्म शक्ति से ना केवल स्वयं को बदल सकते हैं 

बल्कि अपने आसपास के वातावरण और व्यक्तियों को भी बदल सकते हैं उनके भीतर आप आध्यात्मिक रूप से इतने बदलाव कर सकते हैं कि उनके सोचने समझने की शक्ति भी प्रभावित हो जाती है और वे आपके अनुसार ही कार्य करना प्रारंभ कर देते हैं 

दोस्तों आप जब भी आज्ञा चक्र पर ध्यान लगाते हैं और गहरी स्वांस लेते हैं तब आप देखते हैं कि आपकी सांस आपके नाभी और आज्ञा चक्र पर महसूस हो रही है बस यही स्थिति की तलाश साधक को रहती है परंतु यह स्थिति इतनी स्वाभाविक नहीं है कि आप ध्यान में बैठे ध्यान किया और आपका ध्यान सद गया आप अपने नाभि और माथे अर्थात आज्ञा चक्र पर इस श्वास को महसूस कर पा रहे हैं नहीं यह कोई साधारण क्रिया नहीं बल्कि अति सूक्ष्म क्रिया है इसे करने के लिए आपका मन और विचार दोनों शांत होने चाहिए मन की कल्पनाएं रुकनी चाहिए 

जब आप इस आध्यात्मिक शक्ति को प्राप्त कर लेते हैं तब आप हर चीज को बदलने की शक्ति प्राप्त प्राप्त कर लेते हैं “अर्थात यदि हम साधारण शब्दों में कहें कि आप सांस कैसे ले रहे हैं” यह तय करता है कि आपका ध्यान कितना गहरा है इसे समझने के लिए आप एक नवजात बच्चे को देखें जो अभी सो रहा है उसकी सांसें इतनी गहरी हैं कि उसे इन सांसों का पता ही नहीं है

जब वह सांस लेता है तब उसका पेट गुब्बारे की तरह फूलता है और जब वह सांस को छोड़ता है तब उसका पेट पिचक जाता है इस स्थिति को ध्यान से देखने पर ही आप अपनी स्थिति को परिवर्तित कर सकते हैं अभी जो आप श्वांस ले रहे हैं वह तो आप बस ऐसे ही श्वांस ले रहे हैं श्वास लेते वक्त आप यह नहीं देखते कि आपका पेट फूल रहा है कि पिचक रहा है 90 प्र लोग तो केवल अपने फेफड़ों तक सांस लेते हैं और फिर बाहर फेंक देते हैं उन्हें इस चीज से कोई मतलब नहीं कि उनकी सांस कहां तक जा रही है इसीलिए वे सालों साल मेहनत करते हैं गहरा ध्यान करने की कोशिश करते हैं परंतु का ध्यान कभी सध होता ही नहीं है 

इसीलिए हर वह व्यक्ति जो अपने जीवन में कुछ करना चाहता है गहरी शवास लेकर अपने जीवन में ऊर्जा को बढ़ाना चाहता है तो उसे एक नवजात शिशु को देखना होगा जो गहरी निद्रा में सोया हुआ है वह केवल सोया हुआ नहीं है बल्कि इस प्रकृति से तादद बनाए हुए हैं यह प्रकृति उसे अपने आगोश में लेकर खिला रही है उसे हंसा रही है आप देखते हैं कि बच्चे कई बार सोते हुए हंसते हैं कई बार रोते हैं तो यह प्रकृति उन्हें हंसाती भी है रुलाती भी है और उनके गहरी श्वास को बनाए रख उनके शरीर में अतिशीघ्र परिवर्तन की क्षमता को बढ़ाती है

इसीलिए एक नवजात शिशु के अंदर परिवर्तन बहुत अधिक मात्रा में होते हैं क्योंकि गहरी स्वास शरीर में ऊर्जा के स्तर को बढ़ा देती है और ऊर्जा का स्तर जब बढ़ जाता है तो व्यक्ति का शरीर अपने आप ही प्रगति करने लगता है यदि आप प्रैक्टिकल तौर पर यह महसूस करना चाहते हैं कि आप नाभी तक सांस ले रहे हैं तो इसे आप अभी महसूस कर सकते हैं आप देखेंगे कि आपने श्वांस को नाभी तक लिया ही नहीं बल्कि इसे अपने फेफड़े से ही बाहर फेंक दिया इसका कारण है कि आपके भीतर एंजाइटी चिंता भयानक टेंशंस और काम का प्रेशर है आप कभी भी सांस को गहरा नहीं ले पाते जब तक आप सांस को गहरा नहीं लेंगे आपके भीतर यह अवसाद की स्थिति ऐसे ही रहेगी आपके जीवन में परिवर्तन असंभव हो जाएंगे 

इसलिए हर वह साधक हर वह व्यक्ति जो अपने जीवन में शांति चाहता है और आध्यात्म में प्रवेश करना चाहता है या फिर अपने जीवन को शांति से व्यतीत करना चाहता है तो उसको आज की या ध्यान क्रिया अवश्य करनी चाहिए 

तो आइए ध्यान का यह प्रयोग कर लेते हैं और यदि मेरे द्वारा कोई त्रुटि हो जाए तो उसके लिए मैं आपसे क्षमा प्रार्थी हूं आप अपने विचार नीचे कमेंट सेक्शन में जरूर लिखिए तो आइए ध्यान करना प्रारंभ करते हैं तो सबसे पहले ध्यान की सुखासन की मुद्रा में बैठ जाए आपकी कमर और गर्दन सीधी होनी चाहिए 

अर्थात शरीर को शिथिल छोड़ दे अपना समस्त ध्यान अपनी नाभि पर लगाएंगे और गहरी शवास लेंगे सांस को पेट में भरेंगे आप देखेंगे कि आपका पेट पे फूल रहा है और ऐसे ही पेट को फूलता हुआ महसूस करेंगे सांस को पेट में तब तक रोकेंगे जब तक कि आपको यह महसूस ना हो जाए कि आपने शवास को पूरी तरह पेट में भर लिया है 

अब शवास को छोड़ेंगे ऐसे ही फिर शवास को लेंगे श्वास को जब तक रोक सके तब तक रोकेंगे फिर श्वास को छोड़ देंगे ऐसे ही आप मेरे साथ 5 मिनट का य अभ्यास करें परंतु आपको यह 111 सांसों तक करना है शुरुआती समय में आप 111 सांसों तक काउंटिंग करके इसको करेंगे 

अब चाहे इसमें आपको कितना ही समय ल लगे क्योंकि 111 सांसे बड़ी ही शुभ हैं इन 111 सांसों से ना केवल व्यक्ति अपने नाभि तक श्वास ले सकता है बल्कि अपने आज्ञा चक्र पर भी इन सांसों को महसूस कर सकता है 5 मिनट की इस अभ्यास के बाद आप देखेंगे कि आपका मन शांत हो गया है मन में आ रहे विचार समाप्त हो गए हैं मन में चल रही दौड़ धूप टेंशन परेशानियां सब शांत हो गई हैं आप दृष्टा हो गए हैं सब कुछ दूर बैठकर देख रहे हैं इस संसार में कार्य कर रहा प्रत्येक मनुष्य स्वयं को भूल गया है परंतु इस स्थिति में आप स्वयं को जान पा रहे होंगे कि आप या शरीर नहीं केवल वह आत्मा है शुरुआती समय में आप अपने मन को ही आत्मा समझने की भूल करेंगे 

परंतु आपको यहां डरने की आवश्यकता नहीं है इसलिए आप गहरी शवास ले और स्वांसों को नाभी पर महसूस करें कुछ इस [संगीत] तरह शवास को नाभि में भरकर आप ऐसा महसूस करें कि जैसे य शवास आपके आज्ञा चक्र पर भी घूम रही हैं आप देखेंगे कि आपका मन इस आज्ञा चक्र पर एकत्रित हो गया है और यह सांस आपके आज्ञा चक्र पर ही घूम रही है आपकी मना स्थिति शांत हो गई है शांत शांत और शांत बिल्कुल यही स्थिति एक साधक की स्थिति है अब साधक इससे आगे की यात्रा भी बड़ी आसानी से कर सकता है 

परंतु यदि आप केवल अपने मन को शांत करने के लिए ध्यान कर रहे हैं तो आपके लिए 15 से 20 मिनट का ध्यान ही बहुत है दोस्तों आप देखेंगे कि 48 से 72 घंटे में ही आप अपनी परेशानियों से मुक्त हो गए हैं परंतु इस स्थिति को अपने दैनिक जीवन में 21 दिनों तक लगातार करने पर आप अपने भीतर बहुत अधिक परिवर्तन महसूस करेंगे फिलहाल आज की  पोस्ट में बस इतना ही मिलते हैं जल्द ही किसी और नई  पोस्ट के साथ तब तक के लिए नमस्कार

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