जब मैं और आप छोटे थे तो 26 जनवरी का दिन हमारे लिए बहुत ही खुशी का दिन होता था क्यों क्योंकि उस दिन स्कूल में पढ़ाई नहीं होती थी सुबह-सुबह नहा धोकर तैयार होकर हम स्कूल पहुंचते थे मालूम बस इतना था कि आज गणतंत्र दिवस या रिपब्लिक डे है और आज स्कूल में तिरंगा फहराया जाएगा और जन गण मन गाकर हम तिरंगे को सैल्यूट करेंगे और लड्डू या मिठाई खाकर घर आ जाएंगे
बड़े हुए तो पता चला कि गणतंत्र दिवस या रिपब्लिक डे क्यों मनाया जाता है जन गण मन देश का नेशनल एंथम या राष्ट्र गान है और इस दिन यानी 26 जनवरी 1950 को देश का संविधान या कॉन्स्टिट्यूशन लागू हुआ था
हम जानते हैं कि किसी भी देश और उसके नागरिकों के लिए संविधान क्या मायने रखता है तो अगर आपने पॉलिटिकल साइंस की पढ़ाई की है या सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं तो आपको संविधान के बारे में डीप नॉलेज होगी तो
आज के इस पोस्ट में हम जाने भारत का संविधान द कॉन्स्टिट्यूशन ऑफ इंडिया को भारतीय संविधान के इंग्लिश वर्जन की बात करें तो 1 46385 शब्दों में लिखा गया यह दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है जिसे एक पोस्ट में कवर करना नामुमकिन है इसलिए आज भारतीय संविधान के मेन फीचर्स को हम यहां पर डिस्कस करेंगे भारतीय संविधान की आत्मा है इसकी प्रस्तावना जिसे प्रिंबल ऑफ द इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन कहा जाता है इसमें लिखा गया है
“हम भारत के लोग भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न समाजवादी पंथ निरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक न्याय विचार अभिव्यक्ति विश्वास धर्म और उपासना की स्वतंत्रता प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता को सुनिश्चित करने वाली बंधुता को बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर 1949 ईसवी यानी मिति मार्ग शीर्ष शुक्ल सप्तमी संवत 2006 विक्रमी को तद द्वारा संविधान को अंगीकृत अधिनियमित और आत्माप्रियनंद संविधान संशोधन अधिनियम 1976 पारित करके प्रस्तावना में समाजवाद पंथ निरपेक्ष और राष्ट्र की अखंडता शब्द जोड़े गए थे यह शब्द पहले नहीं थे संविधान में शामिल संप्रभुता समाजवादी धर्म निरपेक्ष लोकतांत्रिक और गणतंत्र शब्द भारत की प्रकृति के बारे में और न्याय स्वतंत्रता व समानता शब्द भारत के नागरिकों को प्राप्त अधिकारों के बारे में बताते हैं 26 2 नवंबर 1949 के दिन भारतीय संविधान को अपनाया गया था और तब से 26 नवंबर को संविधान दिवस के तौर पर बनाया जाता है जब एक्चुअल कॉन्स्टिट्यूशन अपनाया गया था तो उसमें 395 आर्टिकल्स और आठ स्केड्यूल के साथ यह 22 भागों में विभाजित था तब से लेकर अब तक कांस्टिट्यूशन में 106 अमेंडमेंट्स किए जा चुके हैं
अब संविधान 448 आर्टिकल्स और 12 शेड्यूल्स के साथ 25 भागों में बटा हुआ है संविधान का पहला अमेंडमेंट 1951 में अस्थाई संसद ने पारित किया था उस समय पार्लियामेंट का अपर हाउस कही जाने वाली राज्यसभा नहीं थी
राज्यसभा को काउंसिल ऑफ स्टेट्स भी कहा जाता है
फर्स्ट अमेंडमेंट के जरिए देश के राज्यों को यह अधिकार दिया गया था कि वह अब अपने यहां सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों या अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों की तरक्की के लिए सका त्मक कदम उठाएंगे यूं तो अब तक संविधान में 106 संशोधन किए जा चुके हैं
लेकिन संविधान की प्रस्तावना यानी प्रिंबल में सिर्फ एक बार संशोधन किया गया है ऐसा नहीं है कि भारतीय संविधान चार से छ महीने में तैयार कर लिया गया था
इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन को बनाने में कितने दिन लगे थे
इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन को बनाने में लगभग 2 साल 11 महीने और 17 दिन लगे थे एक्टिवली इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन को बनाने का काम 6 दिसंबर 1946 को शुरू हो गया था उस समय देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद करने के लिए स्वतंत्रता की लड़ाई अपने पीक पर थी संविधान को बनाने की टाइमलाइन को देखें तो 1934 में फ्रीडम फाइटर और फिलोसोफर मानवेंद्र नाथ रॉय ने संविधान बनाने के लिए संविधान सभा यानी कॉन्स्टिट्यूशन असेंबली बनाने की बात रखी थी
अगले साल संविधान सभा बनाने के इस विचार को इंडियन नेशनल कांग्रेस के सभी नेताओं ने अपना सपोर्ट दिया और 1938 में इंडियन नेशनल कांग्रेस की ओर से जवाहरलाल नेहरू ने यह डिमांड रखी कि कांस्टीट्यूएंट असेंबली में सिर्फ इंडियंस ही शामिल होंगे
1940 के अगस्त महीने में अंग्रेजों ने इस मांग को स्वीकार कर लिया था और 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन से पहले ब्रिटिश गवर्नमेंट ने क्रिप्स मिशन नाम से अपना एक रिप्रेजेंटेटिव इंडिया भेजा इसमें कहा गया था कि सेकंड वर्ल्ड वॉर के बाद ही कंसीट असेंबली बनाई जाएगी तो 6 दिसंबर 1946 को कंसीट ली बनाई गई और 9 दिसंबर 1946 को 211 मेंबर्स के साथ संविधान सभा की पहली बैठक हुई थी
इस मीटिंग को जेबी कृपलानी ने एड्रेस किया था और पहले टेंपररी प्रेसिडेंट बने थे डॉक्टर सच्चिदानंद सिन्हा 11 दिसंबर 1946 के दिन डॉक्ट राजेंद्र प्रसाद को कंसीट असेंबली का परमानेंट प्रेसिडेंट बनाया गया वाइस प्रेसिडेंट थे एच सी मुखर्जी और कांस्टीट्यूशनल लीगल एडवाइजर थे
बी एन राव 13 दिसंबर 1946 के दिन पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भारतीय संविधान का उद्देश्य प्रस्तावित किया था जो कि आगे चलकर प्रिंबल ऑफ द कॉन्स्टिट्यूशन बना जिसका जिक्र हम कर चुके हैं इसे 22 जुलाई 1947 को पास किया गया था
भारत में नेशनल फ्लैग काब अडॉप्ट हुआ था
इसी दिन देश का नेशनल फ्लैग भी तिरंगा अडॉप्ट हुआ था फिर 15 अगस्त 1947 को लगभग 200 सालों की गुलामी के बाद देश आजाद हो गया और 29 अगस्त 1947 को ड्राफ्टिंग कमेटी बनी जिसके चेयरमैन बनाए गए डॉ बी आर अंबेडकर 26 नवंबर 1949 को कंसीट एंट असेंबली ने कांस्टिट्यूशन ऑफ इंडिया को पास कर दिया और भारत का संविधान अपना लिया गया
24 जनवरी 1950 को कांस्टीट्यूएंट असेंबली की आखिरी मीटिंग हुई जिसमें 395 आर्टिकल्स आठ शेड्यूल्स और 22 हिस्सों वाले कॉन्स्टिट्यूशन पर सभी ने हस्ताक्षर किए
इसी दिन जनगण मन को राष्ट्रगान के तौर पर अपनाया गया था और डॉ राजेंद्र प्रसाद देश के पहले राष्ट्रपति घोषित हुए थे फाइनली लगभग 2 साल 11 महीने और 17 दिनों की मेहनत के बाद 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू कर दिया गया तब की लिहाज से भारत का संविधान बनाने में लगभग ₹ लाख का खर्च आया था भारतीय संविधान की जो ओरिजिनल कॉपी है वह हाथ से लिखी गई थी इस हैंड रिटन कॉपी को कैलीग्राफी आर्टिस्ट प्रेम बिहार नारायण रायजादा ने लिखी थी यह एक्चुअल कॉपी को संसद भवन की सेंट्रल लाइब्रेरी में हीलियम गैस से भरे शीशे के बॉक्स में रखा हुआ है
भारत के संविधान को बैग ऑफ बरो इंग्स भी कहा जाता है क्योंकि इसके ज्यादातर प्रावधान अमेरिका यूनाइटेड किंगडम फ्रांस सोवियत यूनियन और आयरलैंड जैसे कई देशों से इंस्पायर्ड है भारतीय संविधान का स्ट्रक्चर कैसा होगा यह गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1935 से मोटिवेटेड था
इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन के प्रिंबल की शुरुआत वी द पीपल भी यूएस कॉन्स्टिट्यूशन से लिया गया संविधान को बनाने वाली कॉन्स्टिट्यूशन असेंबली में कुल 284 सदस्य थे जिनमें सिर्फ 15 महिलाएं थी
अब जानते हैं भारतीय संविधान की कुछ खासियत के बारे में
इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन में सरकार बनाने के लिए अमेरिकन प्रेसिडेंशियल सिस्टम की जगह ब्रिटिश पार्लियामेंट्री सिस्टम को अपनाया गया मतलब पार्लियामेंट सिर्फ केंद्र में ही नहीं देश के सभी राज्यों में भी होंगे लेकिन पार्लियामेंट्री सिस्टम में देश के लिए प्राइम मिनिस्टर के रोल को सबसे बड़ा रखा गया इसलिए इसे प्राइम मिनिस्ट्रियल गवर्नमेंट भी कहा जाता है
पार्लियामेंट्री सिस्टम में हमेशा मेजॉरिटी पार्टी रूल करती है सेंटर में सरकार के मुखिया बनते हैं प्रधानमंत्री और राज्यों में मुख्यमंत्री दोनों ही जगहों में संसद के निचले सदन यानी लोकसभा और विधानसभा को भंग किए जाने का नियम है और देश चलाने वाली पार्लियामेंट्री गवर्नमेंट के हेड होंगे द प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन में फेडरल सिस्टम को अपनाया गया
इसमें कहा गया है कि देश में डुअल गवर्नमेंट होगी केंद्र की अलग और राज्यों में अलग अलग-अलग लेवल पर पावर डिवाइडेड रहेगी संविधान ही सबसे ऊपर होगा जुडिशरी या न्यायपालिका इंडिपेंडेंटली काम करेगी और केंद्र हो या राज्य संसद में दो सदन रहेंगे
हालांकि संविधान के आर्टिकल एक में साफ-साफ इंडिया दैट इज भारत शैल बी यूनियन ऑफ स्टेट्स लिखा गया है कहीं किसी फेडरेशन का जिक्र नहीं है एक फेडरल सिस्टम की जो खासियत होती है उसे गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1919 से अपनाया गया था
भारतीय संविधान में इंडिपेंडेंट जुडिशरी का जो सिस्टम रखा गया है उसमें सबसे नीचे है लोअर और डिस्ट्रिक्ट कोर्ट्स उसके बाद स्टेट लेवल पर है हाई कोर्ट और सबसे ऊपर है सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया सभी कोर्ट्स को सुप्रीम कोर्ट के अधीन रहकर काम करना होता है
हालांकि इस फेडरल सिस्टम में भी केंद्र के पास ज्यादा पावर है जैसे केंद्र ऐसे कानून भी बना सकता है जो राज्यों द्वारा बनाए कानून को खत्म कर सकता है वहीं राज्यसभा में सभी राज्यों की सीट्स बराबर नहीं है यूपी की 31 सीटें हैं तो गोवा की सिर्फ एक फेडरल सिस्टम के हिसाब से संसद के दोनों सदनों के पास इक्वल पावर होनी चाहिए पर लोकसभा राज्यसभा से ज्यादा पावरफुल है
केंद्र चाहे तो इमरजेंसी लगाकर किसी भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर सकती है संविधान के आर्टिकल 356 में प्रेसिडेंट्स रूल का जिक्र है वहीं संविधान न में केंद्र सरकार को देश के हर राज्य में अपना गवर्नर अपॉइंट्स फंडामेंटल राइट्स की यानी मौलिक अधिकारों की जो कि हमें संविधान के पार्ट थ्री से मिला है आर्टिकल 12 से 35 तक इनका जिक्र है और यह है राइट टू इक्वलिटी राइट टू फ्रीडम राइट अगेंस्ट एक्सप्लोइटेशन राइट टू फ्रीडम ऑफ रिलीजन कल्चरल एंड एजुकेशनल राइट्स और राइट टू कांस्टीट्यूशनल रेमेडीज इनकी डिटेल्स में अभी हम नहीं जाएंगे क्योंकि पोस्ट काफी लंबी हो जाएगी
तो आगे बढ़ते हैं फंडामेंटल ड्यूटीज के साथ 26 जनवरी 1950 को जब भारतीय संविधान लागू हुआ था तो उसमें नागरिक कर्तव्यों और दायित्वों का जिक्र नहीं था बाद में 1976 में 42 वें संविधान संशोधन अधिनियम के जरिए आर्टिकल 51a के तहत संविधान के पार्ट फोर्थ ए में 10 मौलिक कर्तव्यों को जोड़ा गया और 2002 में 86 व संविधान संशोधन अधिनियम के द्वारा एक और कर्तव्य जोड़ा गया था
- यह है पहला लोगों द्वारा संविधान का पालन करना और उसके आदर्शों और संस्थानों नेशनल फ्लैग और नेशनल एंथम का सम्मान करना
- दूसरा उन महान आदर्शों को संजोए रखना और उनका पालन करना जिन्होंने हमें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए प्रेरित किया
- तीसरा भारत की संप्रभुता एकता और अखंडता को बनाए रखना और उसकी रक्षा करना
- चौथा देश की रक्षा करना और जरूरत पड़ने या कहे जाने पर राष्ट्रीय सेवाएं प्रदान करना
- पांचवा भारत के सभी लोगों के बीच धर्म भाषा और क्षेत्र से परे उठकर सद्भाव और समान भाईचारे की भावना को बढ़ावा देना महिलाओं के सम्मान के लिए अपमान जनक प्रथा का त्याग करना
- छठा हमारी मिलीजुली संस्कृति की समृद्ध विरासत को महत्व देना और उसका संरक्षण करना
- सातवा वनों झीलों नदियों और वन्य जीवों सहित प्राकृतिक पर्यावरण को महत्व देना उसकी रक्षा करना और उसमें सुधार करना और जीवित प्राणियों के प्रति दया भाव रखना
- आठवा वैज्ञानिक सोच मानवतावाद और जांच एवं सुधार की भावना को विकसित करना
- नवा सार्वजनिक पति की रक्षा करना और हिंसा से दूर रहना
- दसवा व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधि के सभी क्षेत्रों में उत्कृष्टता की दिशा में प्रयास करना ताकि राष्ट्र निरंतर प्रयास और उपलब्धि के उच्च स्तर तक पहुंचे
- 11वां और माता-पिता अपने 6 से 14 वर्ष के बच्चे को शिक्षा के अवसर प्रदान करने का कर्तव्य पालन करेंगे
तो भारतीय संविधान की सबसे बड़ी खासियत है सेकुलरिज्म या धर्म निरपेक्षता इसका मतलब यह है कि ना ही देश का और ना ही इसके किसी भी राज्य का कोई धर्म है या वह धर्म से परिचालित होते हैं किसी भी भारतीय नागरिक के साथ धर्म के नाम पर कोई भी भेदभाव नहीं होगा संविधान में यह साफ कहा गया है सेकुलरिज्म का यह मतलब नहीं है कि देश एंटी रिलीजियस है संविधान में इक्वल रिस्पेक्ट टू ऑल रिलीजन का अधिकार दिया गया है संविधान के प्रिंबल में पहले सेकुलरिज्म शब्द नहीं था
बाद में से 42 व अमेंडमेंट एक्ट से जोड़ा गया था प्रिंबल में किया गया यह एकलौता संशोधन है
अब आते हैं संविधान के संशोधन पर
तो आर्टिकल 368 में संविधान के अमेंडमेंट का जिक्र है संविधान के किसी प्रावधान में बदलाव करना हो किसी प्रावधान को हटाना हो या कोई भी नया नियम जोड़ना हो सब कुछ आर्टिकल 368 में बताए गए नियमों को मानकर ही करना होता है लेकिन केशवानंद भारतीय केस की सुनवाई करते हुए 1973 में सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला दिया था कि संसद उन प्रावधानों में कोई भी संशोधन नहीं कर सकती है जो संविधान के बुनियादी ढांचे से जुड़े हुए हैं
संविधान संशोधन विधेयक या कॉन्स्टिट्यूशन अमेंडमेंट बिल को संसद के किसी भी सदन में पेश किया जा सकता है पर आम तौर पर इसे लोकसभा में ही लाया जाता है संविधान संशोधन बिल पेश करने से पहले उस परे राष्ट्रपति की मंजूरी लेनी नहीं पड़ती साथ ही संविधान संशोधन विधेयक का दोनों सदनों में अलग-अलग पास होना जरूरी है
संविधान में बदलाव करने की तीन कैटेगरी हैं
पहली कैटेगरी में उन अमेंडमेंट बिल्स को रखा जाता है जिनको इफेक्टिव मेजॉरिटी से संशोधित किया जा सकता है इफेक्टिव मेजॉरिटी या प्रभावी बहुमत का मतलब हुआ संसद भवन की टोटल सीट के 50 पर से ज्यादा बहुमत को प्रभावी बहुमत माना जाता है प्रभावी बहुमत इज इक्वल टू सदन की कुल संख्या माइनस खाली और एब्सेंट सीटों की कुल संख्या एग्जांपल के लिए उपराष्ट्रपति और लोकसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को हटाना हो तो इफेक्टिव मेजॉरिटी की जरूरत पड़ती है
दूसरी कैटेगरी में वह अमेंडमेंट बिल्स आते हैं जिन्हें पास करने के लिए सिंपल मेजॉरिटी की जरूरत पड़ती है संसद के सदन में उपस्थित और मतदान करने वाले कुल सदस्यों के 50 पर से ज्यादा के बहुमत को साधारण बहुमत कहा जाता है
एग्जांपल के लिए अगर लोकसभा में दो स्थान खाली हैं और 30 मेंबर्स ने वोट देने से परहेज किया है तो सदन में केवल 513 सदस्य यानी 545 – 32 = 513 उपस्थित होते हैं और मतदान करते हैं इस सिचुएशन में लोकसभा का साधारण बहुमत 256 है जो 513 का 50 प्र है साधारण बिल पास करने के लिए मनी बिल पास करने के लिए राज्य में राष्ट्रपति शासन घोषित करने के लिए और आपातकाल की समाप्ति की घोषणा जैसे केसेस में सिंपली मेजॉरिटी की जरूरत पड़ती है
तीसरी कैटेगरी है स्पेशल मेजॉरिटी संविधान के अनुसार चार तरह के स्पेशल मेजॉरिटी क्लॉसस हैं आर्टिकल 61 आर्टिकल 249 आर्टिकल 368 और आर्टिकल 368 के तहत विशेष बहुमत प्लस साधारण बहुमत द्वारा 50 प्र राज्यों का समर्थन तो यहां पर हम एग्जांपल के लिए आर्टिकल 368 को एक्सप्लेन कर रहे हैं जैसे आर्टिकल 368 के मुताबिक सदन की कुल संख्या के 50 प्र से अधिक द्वारा समर्थित उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के दो तिहाई बहुमत को विशेष बहुमत कहा जाता है
एग्जांपल के लिए अगर किसी बिल को लोकसभा में पारित किया जाना है तो उसे 273 सदस्यों यानी टोटल मेंबर्स के 50 प्र से ज्यादा का समर्थन प्राप्त होना चाहिए और इसके अलावा इसे उपस्थित सदस्यों के दो तिहाई द्वारा स्वीकार भी किया जाना चाहिए सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजेस को और चीफ इलेक्शन कमिश्नर को उनके पोस्ट से हटाने के लिए इस तरह के संशोधन की जरूरत पड़ती है वहीं अगर देश के फेडरल स्ट्रक्चर में कोई भी चेंजेज लाना हो जो सेंट्रल और स्टेट दोनों से जुड़ा हुआ हो तो उस बिल को पास कराने के लिए दो तिहाई बहुमत के साथ-साथ स्टेट लेजिसलेच्योर की श्रेणी में डाल दिया गया वहीं द जम्मू एंड कश्मीर रीऑर्गेनाइजेशन बिल 2019 पास करके आर्टिकल 370 को हटा दिया गया था
संविधान के 101 में संशोधन से 2016 में जीएसटी लॉ यानी गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स को लागू किया गया था वहीं 17 सितंबर 2020 में फॉर्मल लॉबी पास किया गया था पर दिल्ली और आसपास के राज्यों में किसानों के जबरदस्त विरोध प्रदर्शन के चलते 19 नवंबर 2021 को यह बिल विड्रॉ कर लिया गया था सीएए या सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट वाला बिल 15 जुलाई 2016 को पार्लियामेंट में पेश हुआ था और 11 दिसंबर 2019 को यह राज्यसभा में पास हुआ था और इसी साल 11 मार्च को इसे लागू कर दिया गया तो जैसा कि हमने पोस्ट की शुरुआत में आपसे कहा था भारतीय संविधान को किसी एक सिंगल पोस्ट में समप करना पॉसिबल नहीं है यहां पर हमने इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन का एक ओवरव्यू आपके सामने पेश किया है उम्मीद है आपको एक क्लेरिटी मिली होगी इस पोस्ट को देखकर तो ऐसे ढेर सारे इंफॉर्मेशन और एजुकेशनल
पोस्ट हमारी लाइब्रेरी में मौजूद है तो आप उन्हें चेक जरूर कीजिएगा और इस पोस्ट को उन सभी स्टूडेंट के साथ शेयर करना बिल्कुल ना भूले जो कि कंपटिंग एग्जाम्स की तैयारी कर रहे हैं साथ ही साथ आपकी तरफ से कोई भी टॉपिक है जिस पर आप पोस्ट देखना चाहते हैं उसे लिख भेजिए आपका प्यार सपोर्ट शेयर करते रहिए तो मिलेंगे जल्दी ही तब तक के लिए गवर्नमेंट सर्विस वेबसाइट को सब्सक्राइब करके बेल आइकन को प्रेस कर दीजिए मैं संदीप आपसे कहूंगी फिलहाल अपडेट रखिए हमेशा अपने आपको को आगे बढ़ते रहिए क्विक सपोर्ट के साथ धन्यवाद
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Students typically study abroad via their college or university. Studying abroad credits can be the easiest way to book an international program.
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You can still earn school credit for your internship abroad before you graduate.
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Ever thought about swapping places with a foreign student to experience a semester or yearly in their shoes? You’re in luck because it’s a real thing!
8. Study Abroad Programs For High School Students Are A Great Way To Start Early
Going abroad during high school can be a great way to start your studies abroad experience if an exchange program is not an option.
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Did you know that the Department of State, as well as federal agencies, fund study abroad programs for students of any age? You can apply to these programs whether you are in K-12, college or university.
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Enrolling in a foreign language school is another option for those who have graduated or are still in college.
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