अपने काम में माहिर बानो | Improve your work

अपने काम में माहिर बानो | Improve your work

एक बार की बात है एक गांव में एक मूर्तिकार रहता था जो बहुत ही खूबसूरत मूर्तियां बनाया करता था मूर्तियां बेचकर वह अच्छे खासे पैसे कमाता और इसी से अपना घर चलाया करता था उस मूर्तिकार का 10-12 साल का एक लड़का भी था और वह भी अपने पिता के साथ मिलकर बचपन से ही मूर्तियां बनाया करता था और यहां तक कि वह 10-12 साल का लड़का भी बहुत ही खूबसूरत मूर्तियां बनाता था उसके पिता उसकी मूर्तियां देखकर बहुत खुश होते 

लेकिन हमेशा उसकी बनाई हुई मूर्ति में कोई ना कोई कमी निकाल ही लेते थे लेकिन उस मूर्तिकार का बेटा कभी भी अपने पिता की बातों से निराश नहीं होता था बल्कि वह अपने काम को जारी रखता और अपने पिता की बात को मानते हुए अगली बार वह उस गलती पर अच्छे से ध्यान देता अब धीरे-धीरे उस बच्चे की मूर्तियां उसके पिता की मूर्तियों से भी ज्यादा अच्छी बनने लगी थी फिर कुछ समय गुजरने के बाद लोगों ने उसकी बनाई मूर्तियों को ज्यादा दाम में खरीदना शुरू कर दिया और उसके पिता की बनाई मूर्तियों को लोग पहले के ही दाम में खरीदते थे 

अब समय गुजरने के बाद वह लड़का बड़ा हो गया और अब वह अपने पिता से भी ज्यादा कमाने लगा लेकिन अभी भी उसके पिता उसकी बनाई हुई मूर्तियों में कुछ ना कुछ गलती निकाल ही लेते थे लेकिन अब उसके बेटे को यह बात अच्छी नहीं लगने लगी थी तो एक दिन जब उसके पिता उसकी बनाई हुई मूर्ति में उसे गलती बता रहे थे 

तभी लड़के ने गुस्से में अपने पिता से कहा कि आप मेरी बनाई हुई मूर्तियों में कमियां निकालते हैं जैसे कि आप मुझसे भी अच्छे मूर्तिकार है आपको पता है ना कि मेरी बनाई गई मूर्तियां आपकी मूर्तियों से कई ज्यादा दाम में बिकती है इसका मतलब यह है कि मैं आपसे बेहतर और अच्छा मूर्तिकार हूं और अब मुझे लगता है कि मुझे आपके एडवाइस की कोई जरूरत नहीं है मेरी मूर्तियां परफेक्ट होती है उस दिन के बाद से उसके पिता ने उसे एडवाइस देना छोड़ दिया और अब वह अपने बेटे के काम में कोई भी गलती और कमी नहीं निकालते थे 

कुछ दिनों तक लड़का अपनी मूर्तियां खुशी से बनाता रहा लेकिन फिर कुछ समय बीतने के बाद उसे कि लोग अब उसके काम की इतनी तारीफ नहीं कर रहे हैं जितनी पहले करते थे और इसी वजह से उसकी मूर्तियों की कीमत भी गिरने लगी थी लड़के को इस बात की वजह समझ नहीं आई उसे अपनी बनाई गई मूर्तियों में कोई भी कमी नजर नहीं आ रही थी जिसे सुधार कर वह फिर से अपनी मूर्तियों के दाम को उठा सके वह इस बात से बहुत परेशान हो गया और एक दिन वह अपने पिता के पास गया और उन्हें अपनी प्रॉब्लम बताने लगा 

पिता ने उसकी पूरी बात सुनी और उसे कहा मुझे पता था कि एक दिन यह तुम्हारे साथ जरूर होगा यह सुनने के बाद बेटा हैरान हो गया और उसने कहा क्या आपको पता था कि होने वाला है पिता ने हां में सर हिलाया और कहा क्योंकि यह मेरे साथ बहुत साल पहले हो चुका है तभी लड़के ने कहा फिर आपने मुझे यह चीज क्यों नहीं बताई पिता ने कहा क्योंकि उस समय तुम समझना नहीं चाहते थे मुझे पता है कि मैं तुम्हारी जितनी खूबसूरत मूर्ति नहीं बना सकता हूं 

इसीलिए मैं हमेशा यह कोशिश करता था कि मैं एक टीचर की तरह तुम्हारी बनाई गई मूर्तियों में कमी निकालू क्योंकि जो काम हम खुद करते हैं उस काम में हम कभी भी कोई गलती नहीं निकाल सकते हैं क्योंकि हम सब अपने काम को पसंद करते हैं और सबसे अच्छा समझते हैं 

लेकिन दूसरा इंसान उन गलतियों को देख सकता है जो हम अपने हाथों से किए गए काम में नहीं देख सकते जब मैं तुम्हारी बनाई गई मूर्तियों में गलतियां निकालता था तब तुम अपने काम से सेटिस्फाई नहीं होते थे और तब तुम अपने काम को और भी अच्छे से इंप्रूव करने की कोशिश करते और इसीलिए तुम्हारे काम में हर दिन इंप्रूवमेंट हो रही थी और तुम्हारी मूर्तियों की प्राइस भी बढ़ रही थी और जब तुम अपने काम से सेटिस्फाई होने लगे और यह सोचने लगे कि तुमने जो मूर्ति बनाई है वह बिल्कुल परफेक्ट है और उसमें कोई भी गलती नहीं है तभी तुम्हारी ग्रोथ रुक सी गई लोग हमेशा तुमसे अच्छी मूर्तियों की एक्सपेक्टेशन रखते थे और जब तुम उनके एक्सपेक्टेशन पर खरे नहीं उतरे तब से उन्होंने तुम्हारी मूर्तियों में इंट स् लेना छोड़ दिया और इसी वजह से तुम्हारी मूर्तियों के दाम कम होने लगे और आज तुम इस सिचुएशन में पहुंच चुके हो 

बेटे ने अपने पिता को अच्छे से सुना और थोड़ी देर के लिए शांत हो गया फिर उसने कहा पिताजी अब मुझे क्या करना चाहिए पिता ने कहा बेटा डिस सेटिस्फाई होना सीखो और यही एक चीज तुम्हें इंस्पायर करेंगी हमेशा अपने काम को बेहतर बनाने के लिए हमेशा अपने काम में इंप्रूवमेंट लाने के लिए अगर हम हमारी लाइफ में देखें तो हमें पता चलेगा कि जब हमें या हमारे काम को कोई क्रिटिसाइज करता है तो हम उसे गलत समझते हैं 

लेकिन अगर हम इसे अच्छे से समझे तो हमें पता चलेगा कि जब कोई हमें क्रिटिसाइज करता है तो हमारे लिए गलत नहीं बल्कि वह हमारे लिए अपॉर्चुनिटी होती है बस आपको व चीज पॉजिटिव वे में लेना पड़ेगा जब आपको या आपके काम को कोई क्रिटिसाइज करता है तो उसे एक फीडबैक की तरह समझो और उस गलती को फिक्स करो और अपनी प्रोग्रेस की तरफ बढ़ते रहो तभी आप अपने काम में इंप्रूवमेंट के रास्ते पर लगे रहोगे चाहे दुनिया का कोई भी काम हो उसका कोई अंत नहीं होता हम जितना सीखते जाएंगे उतना इंप्रूव करते जाएंगे और इंसान तभी सीखता है जब वह गलतियां करता है तो अगर आप इस कहानी को और भी लोगों तक पहुंचाना चाहते हो तो पोस्ट को लाइक करिए ताकि अच्छी लगी हो तोवेबसाइट  को सब्सक्राइब जरूर करिए मिलता हूं मैं अगली बार इसी तरह की कहानी के साथ तो सबर करो शुक्र करो और जिंदगी में आगे बढ़ो

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