शर्माना और डरना हमेशा के लिए ख़त्म हो जायेगा | Buddha Story

दोस्तों गौतम बुद्ध की शिक्षा हर किसी के जीवन को नई दिशा दे सकती है अगर आप भी इसे मानते हैं तो कमेंट्स में नमो बुद्धाय लिखना मत भूलिए एक समय की बात है नगर में एक व्यापारी रहता था अपने और अपने परिवार के भरण पोषण के लिए वह नमक का व्यापार करता था उसके परिवार में पत्नी और दो पुत्र थे व्यापारी के दोनों पुत्रों का स्वभाव बिल्कुल अलग था 

जहां एक और बड़ा पुत्र बहुत ही संकोची और शर्मीले स्वभाव का था उसे किसी से बात करने में भी शर्माती थी वही उसका छोटा पुत्र बहिर्मुखी स्वभाव वाला व्यक्ति था वह किसी से भी अपनी बात कहने में कभी संकोच नहीं रखता था लोग अक्सर बड़े पुत्र को भोला और बेवकूफ समझते थे कई बार लोग उसके भोलेपन का फायदा भी उठा लेते थे और वह पलटकर कभी किसी को कुछ नहीं कहता था व्यापारी अपने पुत्र के इस स्वभाव के कारण बहुत अधिक नाराज होता था 

बात चीत ना कर पाने और शर्मीले स्वभाव के कारण व्यापारी ने कई बार अपने पुत्र की पिटाई भी कर दी थी हालांकि इस वजह से उसके पुत्र का स्वभाव सुधरने के बजाय और भी खराब हो गया बचपन से ही बड़ा पुत्र बेहद परेशान रहने लगा था उसके अंदर आत्मविश्वास की कमी हो गई थी परीक्षा में वह आते हुए प्रश्नों के उत्तर भी अपने डर के कारण नहीं लिख पाता था इस कारण उसकी शिक्षा भी ठीक ढंग से नहीं हो पाई बड़ा पुत्र जब युवावस्था को प्राप्त हुआ 

तब व्यापारी ने उसे अपने साथ व्यापार में हाथ बटा को कहा अपने पिता से डर के कारण वह व्यापार करने को तैयार हो गया किंतु वह कई बार ऐसी गलतियां कर देता था जिससे व्यापारी बहुत अधिक नाराज हो जाता था एक दिन व्यापारी किसी दूसरे काम के कारण शहर गया हुआ था उस समय उसकी दुकान पर बड़ा पुत्र बैठा हुआ था तभी कुछ लोग आए और उन्होंने बड़े पुत्र से कहा कि हमें तुम्हारे पिता ने भेजा है उनका यह संदेश है कि इस समय दुकान में नमक की जितनी बोरियां रखी हुई है वह सब हमें दे दो उन्होंने नमक की सभी बोरियों को शहर मंगवाया है 

व्यापारी का पुत्र उनसे प्रश्न पूछने की हिम्मत जुटा ही रहा था कि वे दोनों आदमी दुकान के अंदर घुस गए और दुकान में जितनी भी नमक की बोरियां रखी थी सबको तांगे में रखा और लेकर चले गए व्यापारी के पुत्र ने उन्हें रोकने का प्रयास किया किंतु संकोच और शर्मीले पन के कारण वह उन्हें कुछ कह नहीं पाया उसने मन ही मन सोचा कि यदि मैं इन्हें नमक ले जाने से रोकूं तो पिताजी मुझ पर नाराज होंगे कुछ समय बाद जब व्यापारी शहर से वापस आया तो खाली दुकान देखकर उसने अपने पुत्र से प्रश्न किया कि नमक की बोरियां कहां गई यह दुकान इतना खाली खाली क्यों है तब बड़े पुत्र ने धीमे स्वर में कहा कि कुछ लोग दुकान पर आए थे और उन्होंने मुझसे कहा कि आपने नमक की बोरियों को शहर मंगवाया है और दुकान में से सारी बोरियों को निकाल कर लेकर चले गए व्यापारी ने अपना सिर पीट लिया उसने अपने पुत्र को दुकान से धक्का देते हुए कहा कि तू मूर्ख का मूर्ख ही रह जाएगा वे लोग तुझे बेवकूफ बनाकर सारा सामान ले गए तुमने मेरा बहुत भारी नुकसान करवा दिया यहां से दूर भाग जाओ और घर वापस मत आना यदि तुम वापस आए तो मैं तुम्हें पीट पीट कर सीधा कर दूंगा व्यापारी का बड़ा पुत्र इस बात से बेहद दुखी हुआ 

एक बार फिर उसके शर्मीले स्वभाव के कारण उसके पिता उससे और अधिक नाराज हो गए साथ ही व्यापार में भी इतना नुकसान हो गया उस समय नगर के सभी लोग व्यापारी के पुत्र पर हंस रहे थे और उसका मजाक बना रहे थे उसे बहुत अधिक शर्मिंदगी महसूस हो रही थी यही वह समय था जब उसने सोच लिया कि अब उसके जीवन में कुछ भी ठीक नहीं हो सकता है वह सदैव मूर्ख का मूर्ख ही रह जाएगा और इस समाज में रह रहे लोगों के साथ कदम से कदम मिलाकर कभी नहीं चल पाएगा 

व्यापारी का पुत्र नगर से बाहर आ गया और एक नदी के किनारे बैठकर खूब रोया गहरे पानी को देखकर उसके मन में विचार आया कि अब उसके जीवित रहने का कोई फायदा नहीं है उसने सोच लिया कि आज वह इस नदी में डूबकर अपने आप को समाप्त कर लेगा असफल जीवन जीने से अच्छा है कि वह स्वयं को समाप्त कर ले उसने जैसे ही नदी में छलांग लगाई एक बौद्ध भिक्षु ने उसे बचा लिया और नदी से बाहर निकाल कर ले आए व्यापारी का पुत्र बौद्ध भिक्षु पर नाराज होने लगा और कहने लगा कि तुमने मुझे क्यों बचाया मैं इस असफल जीवन को जीना नहीं चाहता 

बौद्ध भिक्षु ने उसे समझाया कि जीवन एक ही बार मिला है और यदि तुम जीवित ही नहीं रहोगे तो असफलता को खत्म करके सफल कैसे बनोगे तब व्यापारी के पुत्र ने कहा कि मेरे जीवन बहुत अधिक समस्याएं हैं यह सभी समस्याएं मेरे संकोची और शर्मीले स्वभाव के कारण हुई है मैंने अपने पिता का नुकसान करवा दिया मैं एक अच्छा पुत्र नहीं हूं 

अपने स्वभाव के कारण मैं शिक्षा ग्रहण भी नहीं कर सका यह सारा संसार मुझे मूर्ख समझता है क्या किसी मूर्ख को इस संसार में जीने का अधिकार है तब बौद्ध भिक्षु ने कहा कि तुम्हारे इस प्रश्न का उत्तर तो मेरे गुरु ही देंगे चलो मैं तुम्हें मेरे गुरु से मिलवा हूं व्यापारी के पुत्र ने कहा कि वह किसी से बात नहीं करना चाहता आज वह अपना जीवन समाप्त कर लेगा किंतु बौद्ध भिक्षु के बार-बार समझाने के बाद वह उनके साथ जाने और उनके गुरु से मिलने के लिए तैयार हो गया बौद्ध भिक्षु 

व्यापारी के पुत्र को आश्रम की ओर लेकर गए वहां पर व्यापारी के पुत्र ने देखा कि एक व्यक्ति पेड़ के नीचे ध्यान मग्न बैठे हुए हैं तभी बौद्ध भिक्षु ने कहा कि यह हमारे गुरु गौतम बुद्ध हैं दोनों ने गौतम बुद्ध को प्रणाम किया वह युवक वहीं पर बैठ गया और गौतम बुद्ध को देखकर रोने लगा गौतम बुद्ध ने उससे उसके रोने का कारण पूछा तब उसने कहा कि अब आप ही मेरी आखिरी उम्मीद है यदि आप मेरी समस्या का समाधान नहीं करेंगे तो मेरा यह जीवन समाप्त हो जाएगा 

गौतम बुद्ध ने व्यापारी के पुत्र से उसकी समस्या के बारे में पूछा तब उसने बताया कि किस प्रकार वह बच से ही शर्मीले और अंतर्मुखी स्वभाव का है 

इस कारण लोग उसी से मूर्ख समझ लेते हैं और उसके पिता भी उससे प्रेम नहीं करते तब गौतम बुद्ध ने युवक को शांत कराते हुए कहा कि मेरे पास तुम्हारी समस्या का समाधान है तुम्हारा जीवन बहुत ही आसान हो सकता है तब युवक ने कहा कि क्या सचमुच ऐसा हो सकता है आप बहुत ही महान व्यक्तित्व प्रतीत होते हैं आपके तो कई शिष्य हैं हे गुरुदेव मैं भी आपका शिष्य बनना चाहता हूं क्या आप मुझे अपने शिष्य के रूप में स्वीकार करेंगे 

गौतम बुद्ध ने कहा कि हां अवश्य युवक ने कहा कि ठीक है गुरुदेव अब मुझे वह उपाय बताइए जिससे कि मेरा जीवन बदल जाए 

गौतम बुद्ध बोले किंतु उससे पहले तुम्हें मेरे कुछ महत्त्वपूर्ण कार्य करने होंगे यदि तुम मेरा यह कार्य करो तब मैं तुम्हें कुछ ऐसे उपाय बताऊंगा जिनके कारण तुम्हारे जीवन में सब कुछ ठीक हो जाएगा और तु तुम्हारे पिता भी तुमसे प्रसन्न रहेंगे 

गौतम बुद्ध ने उस युवक को कहा कि आज से तीन दिन बाद मैं तुम्हें ऐसे उपाय बताऊंगा 

जिससे तुम्हारा जीवन बदल जाएगा किंतु तीन दिनों तक तुम्हें मेरे सभी कार्य करने होंगे मैं जैसा जैसा कहूंगा यदि तुम वह कार्य को करने में सफल रहे तो तीसरे दिन के बाद तुम्हारा जीवन बदल जाएगा तुम्हारा 

  1. पहला दिन कल से शुरू होगा अभी जाओ और आश्रम में ही आराम करो अगले दिन दिन व्यापारी का पुत्र गौतम बुद्ध के पास पहुंचा और कहा कि हे गुरुदेव मुझे पहले दिन का कार्य बताइए तब गौतम बुद्ध ने कहा कि आज तुम्हें 10 अजनबी व्यक्तियों से बातचीत करनी है और उनका हाल जानना है इसका लेखा जोखा शाम तक लेकर आना व्यापारी के पुत्र को बड़ा ही संकोच महसूस हुआ किंतु उसने गौतम बुद्ध को हां कह दिया वह निकल पड़ा 10 अजनबी लोगों से बातचीत करने शुरू में उसे बहुत अधिक संकोच हुआ कई लोग तो डांट कर भगा देते थे उसके सामने अपना जीवन बदलने का यही एक उपाय था आखिरकार कोशिश करते हुए उसने 10 अजनबी लोगों के नाम और उनके व्यापार का लेखा जोखा प्राप्त कर लिया शाम को जब वह गौतम बुद्ध के पास पहुंचा तो प्रसन्नता के साथ उसने गौतम बुद्ध को बताया कि आज का कार्य उसने सही ढंग से पूरा कर लिया है कुछ लोग तो उसके मित्र भी बन गए हैं 
  2. दूसरे दिन फिर वह युवक गौतम बुद्ध के पास पहुंचा तब गौतम बुद्ध ने कहा कि आज का कार्य है तुम आश्रम में रह रहे 10 शिष्यों को संबोधित करते हुए उन्हें जल के उपयोग के विषय में पढ़ाओ गौतम बुद्ध की बात सुनकर व्यापारी का पुत्र हक्का बक्का रह गया उसने कहा कि आप मुझसे किस प्रकार का कार्य करवा रहे हैं मैं अपनी शिक्षा ठीक से पूरी नहीं कर पाया हूं मैं यह कार्य नहीं कर पाऊंगा तब गौतम बुद्ध ने कहा कि ठीक है तब मैं तुम्हें उपाय भी नहीं बताऊंगा व्यापारी के पुत्र ने प्रार्थना करते हुए कहा कि आप जानते हैं मेरी शिक्षा अधूरी है फिर मैं किस प्रकार बालकों को शिक्षा दे सकता हूं गौतम बुद्ध ने मुस्कुराते हुए कहा कि यहां सिर्फ मैं जानता हूं कि तुम्हारी शिक्षा अधूरी है वे बालक नहीं जानते तुम रोज अपने जीवन में जल का उपयोग करते हो यही सब बातें जाकर उन बालकों को बतानी है आखिरकार व्यापारी के पुत्र के पास कोई रास्ता नहीं बचा हिम्मत जुटाकर वह उन बालकों के पास पहुंच गया शुरू में तो उसके हाथ पैर कांप पर रहे थे किंतु आखिरकार उसने जल की विशेषताओं के बारे में बताना प्रारंभ कर दिया उसने बालकों को जल की पांच विशेषताएं बताइए और जल्दी से वहां से भाग आया गौतम बुद्ध के पास आकर उसने कहा कि बहुत अधिक डर लग रहा था किंतु मैंने बालकों को जल की पांच विशेषताएं बता दी हैं गौतम बुद्ध ने कहा कि जो एक बार फिर कोशिश करके आओ व्यापारी का पुत्र ने एक बार फिर हिम्मत जुटाई और बालकों को जल के विषय में पढ़ाना शुरू किया इस बार व्यापारी के पुत्र को बिल्कुल डर नहीं लग रहा था पूरे आत्मविश्वास के साथ बालकों को शिक्षा दी तब गौतम बुद्ध ने युवक की प्रशंसा करते हुए कहा कि तुम अवश्य ही साहसी हो गौतम बुद्ध से शाबाशी सुनकर वह युवक बहुत अधिक प्रसन्न हुआ 
  3. युवक तीसरे दिन जब गौतम बुद्ध के पास आया तो गौतम बुद्ध ने उससे कहा कि आज का कार्य तुम्हें थोड़ा अजीब लग सकता है किंतु आज तुम्हें अपने पिता से मिलने जाना है गौतम बुद्ध की यह बात सुनकर वह युवक बहुत अधिक डर गया उसने कहा कि नहीं नहीं मैं अपने पिता के सामने नहीं जाऊंगा गौतम बुद्ध ने कहा कि ठीक है तब मैं तुम्हें उपाय भी नहीं बताऊंगा आखिरकार उस युवक को गौतम बुद्ध की बात माननी पड़ी गौतम बुद्ध ने उसे समझाया कि अपने पिता के पास जाकर उनसे क्षमा मांगना और कहना कि तुम्हें एक और अवसर दे ताकि तुम स्वयं को बुद्धिमान साबित कर सको उसे युवक ने बड़ी हिम्मत के साथ अपने पिता का सामना किया और उनसे क्षमा मांगी आखिरकार व्यापारी ने अपने पुत्र को क्षमा कर दिया और उसे दूसरा अवसर देने के लिए तैयार हो गए व्यापारी का पुत्र गौतम बुद्ध के पास आया और उसने जब उपाय के बारे में जानना चाहा 

तब गौतम बुद्ध ने कहा कि कि तुमने स्वयं ही अपना उपाय खोज लिया है तुम किसी से बात नहीं कर पाते थे शर्मीले थे सब कुछ तुम्हारे मन में बैठा हुआ डर था हम कितने आत्मविश्वास हैं कितने शर्मीले हैं और हमारे अंदर कितना डर है यह सिर्फ हमें पता होता है बाहरी दुनिया में किसी को नहीं पता होता है बाहरी दुनिया में हम स्वयं को जिस प्रकार का दिखाते हैं लोग हमें इस प्रकार का समझते हैं अगर तुम आत्म विश्वासी नहीं हो तो भी अनजान व्यक्तियों के सामने यदि आत्मविश्वास होने का अभिनय करो तो किसी को पता ही नहीं चलेगा कि तुम कौन हो वह युवक समझ चुका था कि गौतम बुद्ध उसे क्या बताना चाह रहे हैं गौतम बुद्ध को धन्यवाद किया और उनसे वादा किया कि वह जीवन में सफल होकर दिखाएगा दोस्तों यह पोस्ट पसंद आई हो और  आपके आसपास भी कोई ऐसा शर्मीला और संकोची स्वभाव का व्यक्ति है तो उसे यह पोस्ट जरूर शेयर करें ताकि उसकी सहायता हो सके

4 thoughts on “ शर्माना और डरना हमेशा के लिए ख़त्म हो जायेगा | Buddha Story”

  1. Thank you I have just been searching for information approximately this topic for a while and yours is the best I have found out so far However what in regards to the bottom line Are you certain concerning the supply

  2. I simply could not go away your web site prior to suggesting that I really enjoyed the standard info a person supply on your guests Is going to be back incessantly to investigate crosscheck new posts

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top
फोल्डेबल फोन के फायदे: 10 गुप्त और चौंकाने वाले तथ्य सिर्फ डाइट पर खाने के तरीके: आपके जीवन को बदल सकते हैं UPI Payments का राज: बदलेगा आपका डिजिटल लाइफस्टाइल फिटनेस ऐप्स की रैंकिंग Fitness Apps Ranked पैन कार्ड को आधार कार्ड से लिंक कैसे करें